गौं गौं की लोककला
तिमली में वाड़ (मचान ) में काष्ठ कला : याने सरलतम सरलता में सुंदरता गढ़वाल, कुमाऊं , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , , मोरियों , खोलियों, कोटि बनाल , छाज ) काष्ठ कला, नक्कासी - 139
सूचना व फोटो आभार : आशीष डबराल, तिमली
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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020
उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 139
तिमली में वाड़ (मचान ) में काष्ठ कला : याने सरलतम सरलता में सुंदरता गढ़वाल, कुमाऊं , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , , मोरियों , खोलियों, कोटि बनाल , छाज ) काष्ठ कला, नक्कासी - 139
संकलन - भीष्म कुकरेती
तिमली (द्वारीखाल ब्लॉक ,पौड़ी गढ़वाल ) में आधुनिक वाड़ छोप (मचान ) देख कर सहर्ष ही बोल निकल जाते हैं सरलतम को ही सबसे सुंदर कला कहते हैं क्योंकि सरल निर्माण सबसे कठिन होता है।
वाड़ वास्तव में कोई एक छपरा या भवन नही अपितु वाड़ धरण का अर्थ है खेतों की जंगली जानवरों से बचत करना। वाड़ बिना किसी छोप .shed के भी हो सकता है , आदमी एक दो घंटे खेतों में खड़ा रहे व आवाज देता रहे या कनस्तर या डमरू बजाते रहे। अधिकतर वाड़ धरण में छाया या छोप के लिए पुराने पल्ल प्रयोग होते थे। इस लेखक ने बहुत कम देखा कि वाड़ धरण के लिए छाया /छोप हेतु कोई विशेष अलग से मचान या झोपड़ी बने। किन्तु आज परिश्थितियां बदल गयीं हैं। विस्तृत खेती हेतु मचान बनवाने आवश्यक हो गए हैं और उदाहरण है तिमली में बने आधुनिक मचान .
तिमली के वाड़ छोप (मचान ) बहुत ही सरल है इसीलिए त्वरित आकर्षित करने में सफल है यह वाड़ .
तिमली में इस वाड़ /मचान को उठाने हेतु चार स्थंलों में कुल आठ दस खाम या खम्बे भूमि में गाड़े गए हैं , फिर इन खामों /ख्म्भों में लकड़ी का बैठ्वाक तल (पहली मंजिल ) धरा गया है। बैठ्वाक तल के बाहर नीचे खम्बो के ऊपर सुंदर मजबूत लकड़ी के कड़ियाँ भी है। बैठ्वाक तल लकड़ियों की बारीक कड़ियों से बना है। बैठ्वाक को छाया देने हुतु ऊपर छप्परिका है , छप्परिका भी लकड़ियों की लट्ठों से बनी है व बैठ्वाक के ऊपर दीवारें हैं, दीवारों में खोली/झांकने हेतु छेद भी है । दीवारों के ऊपर छप्परिका आधार स्थापित है व छप्परिका शानदार बनी है। मचान बनाने में केवल ज्यामितीय कला का उपयोग हुआ है। भूमि से बैठ्वाक म जाने हेतु लकड़ी की ही सीढ़ियां हैं।
वाड़ सीधा साधा बना इसकी सरलता , सीधी साधी बनावट ही इस मचान की सुंदरता का जड़ है।
तिलमि में खेतों के ऊपर जंगली जानवरों से फसल की रक्षा हेतु निर्मित इस मचान को देखकर बिलकुल कहा जा सकता है कि सुंदरता सरलता /सरलतम बनावट में होती है ना कि जटिल बनावट में। तिमली का वाड़ /मचान सरलता का दूसरा नाम सुंदरता होता है।
इस वाड़ /मचान बनाने वाले शिल्पकारों के नाम की सूचना आनी बाकी है .
सूचना व फोटो आभार : आशीष डबराल, तिमली
* यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी . मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर के लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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