उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास भाग -40

उत्तराखंड में शलजम /शलगम का इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 16

उत्तराखंड में कृषि व भोजन का इतिहास --40

उत्तराखंड में शलजम /शलगम का इतिहास

उत्तराखंड परिपेक्ष में सब्जियों का इतिहास - 16

उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --40

आलेख : भीष्म कुकरेती

Botanical Name- Brassica rapa

सामन्य नाम - Turnip

शलजम/शलगम के जन्मस्थली के बारे में वैज्ञानिकों में सहमति नही है। किन्तु इस बात पर सहमती अवश्य है कि शलजम का जन्मस्थान मेडिटेरीयन भूभाग से पकिस्तान तक हो सकता है और 2000 BC से पहले शलजम का जन्म हो चुका था । वैज्ञानिक साबेरिया को भी शलजम का जन्मस्थान मानते है। सिकन्दर साहित्य (300 BC )में शलजम /शलगम का उल्लेख मिलता है। संस्कृत में इसे शिखामूल कहते हैं।

ऐसा लगता है की शलगम का उपयोग भारत में 1500 BC में हो चुका था। इस समय भारत में शलजम /शलगम का उपयोग तिलहन के लिए होता था।

उत्तराखंड में भी शलजम /शलगम सिकन्दर युग से पहले उगाया जाता होगा. शायद पंजाब क्षेत्र से शलजम /शलगम का ज्ञान उत्तराखंड के मैदानी निवासियों को हुआ होगा।

पहाड़ों में शलजम नही उगाया जाता है या बहुत कम ही उगाया जाता है . हो सकता है कि बड़े मूला के विकास के बाद शलजम की अहमियत पहाड़ों में कम हो गयी होगी। या यह भी हो सकता है कि शलजम की आयु कम होने से शलजम की खेती नही की गयी होगी। मैदानी , भाभर व तराई क्षेत्र में शलजम /शलगम की बड़ी मात्रा में खेती होती है।

Copyright @ Bhishma Kukreti 23/10/2013