गौं गौं की लोककला

संकलन

भीष्म कुकरेती

रामडा में राम सिंह रुदियाल की पहली खोळी (entry door ) में काष्ठ अलंकरण

सूचना व फोटो आभार : हिमालय नव संचार पत्रिका

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 72

रामडा में राम सिंह रुदियाल की पहली खोळी (entry door ) में काष्ठ अलंकरण

रामडा (गैरसैण ) में पारम्परिक भवन काष्ठ अलंकरण /उत्कीर्णन -1

चमोली , गढ़वाल में तिबारी , निमदारी , जंगलेदार मकानों में काष्ठ कला , अलंकरण -1

गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला अलंकरण - 72

संकलन - भीष्म कुकरेती

उत्तरकाशी , उत्तरी टिहरी गढ़वाल उत्तरी रुद्रप्रयाग व उत्तरी चमोली गढ़वाल में अति शीत ऋतु के कारण व भूकम्प संवेदन शील क्षेत्र होने के कारण सदियों से ही काष्ठ भवन हेतु प्रसिद्ध रहे हैं। इसीलिए इन क्षेत्रों में भवन काष्ट कलाएं गढ़वाल के अन्य क्षेत्रों से अधिक ही विकसित हुए हैं।

रामडा गैरसैण तल्ला का एक महत्वपूर्ण गाँव हैं। राम सिंह रुदियाल के सुपुत्र ( हिमालय नव स्नैचर ) में तीन अभिनव काष्ठ कलाओं के नमूनों की सूचना व फोटो भेजे हैं और तीनों की प्रत्येक की अपनी विशेष विशेषता है (exclusivity ( अतः प् प्रत्येक काष्ठ नूमनों का अलग अलग विवरण गढ़वाल काष्ठ कला व् अलंकरण उत्कीरण समझने हेतु आवश्यक होगा।

आज राम सिंह रुदियाल की एक खोळी की काष्ठ कला अलंकरण पर चर्चा होगी।

रामडा के राम सिंह रुदियाल की खोळी में ज्यामितीय , प्राकृतिक , मानवीय व आध्यात्मिक प्रतीकात्मक कलाओं के दर्शन होते हैं।

खोळी देहरी /देळी पर आधारित है व दोनों ओर कलायुक्त सिंगाड़ /स्तम्भ हैं व ऊपर मुरिन्ड /शीर्ष में महहऱाब /arch /तोरण है जिसके ऊपर काष्ठ पट्टिकाओं में कलापूर्ण उत्कीर्ण हुआ है। खोळी को वारिश आदि से बचाने हेतु छत्तिका भी है . छतिका को आधार देने हेतु काष्ठ के हाथी व पक्षी हैं।

दोनों ओर स्तम्भ दीवाल से कड़ी द्वारा जुड़े हैं व दोनों ओर के स्तम्भ वर्टिकली /ऊर्घ्वाकर रूप से तीन भाग में बनता है

बाह्य स्तम्भ भाग व आंतरिक स्तम्भ भाग में आधार पर तीन तरह के पदम् दल या पुष्प दृष्टिगोचर होते हैं व प्रत्येक पुष्प दल के मध्य कलायुक्त डीले (carved round wood plate ) हैं। मध्य के आंतरिक स्तम्भ कमल फूल के ऊपर से शाफ़्ट या सीधी कड़ी ( Shaft of Column ) में बदल जाते हैं कड़ी में बेल बूटों की नक्कासी हुयी है। कमल दल स्तम्भ के मध्य वाली कड़ी में भी पत्तियों की चित्रकारी अंकन हुआ है। स्तम्भ एक ऊंचाई पर पंहुचते हैं तो नक्कासीदार तोरण (arch ) मेहराब दृष्टिगोचर होता है। तोरण पट्टिका में फूल व पत्तियों की चित्रकारी या अंकन हुआ है जो नयनाभिरामी दरसीही प्रस्तुत करते हैं

स्तम्भ व मध्य कड़ी ऊपर मुरिन्ड में आकर चौखट बनाते हैं। मुरिन्ड तोरण के ऊपर आयताकार पट्टिकाओं में दो बहुदलीय पुष्प अंकित हैं जो खोळी की छवि वर्धक हैं। मुरिन्ड की एक पट्टिका में दो सूंड सहित हाथी की आकृति उत्कीर्ण है। हठी की सूंड किसी वानस्पतिक वस्तु व फूल को छो रहे हैं। मुरिन्ड में ही ऊपर पट्टिका में एक दार्शनिक /आध्यात्मिक प्रतीकात्मक आकृति अंकित है (नजर उठा न लगे प्रतीक या देव पुरुष की आकृति )

खोळी छत्तिका दो काष्ठ खड़े आकृतियों आकृतियों टिकी है। दोनों ओर खड़ी आकृति वास्तव में हाथी व व हाथी के ऊपर फूलों से बने किसी पक्षी की आकृतियां हैं जो कलात्मक हैं व कला दृष्टि से उत्कृष्ट हैं अंत में यह पक्षी या पुष्प आकृति छत्तिका के आधार पट्टिका से मिल जाते हैं। छत्तिका काष्ठ दासों (टोढ़ी ) के ऊपर टिकी है।

खोळी के दरवाजों में ज्यामितीय कला पूर्ण अंकन हुआ है और यह ज्यामितीय कलाकृति खोळी की सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं।

रामडा खोळी व मकान के अन्य काष्ठ भाग सन 1965 में तैयार हुआ था व इन्हे तैयार करने में लोहबा के प्रसिद्ध बढ़ई चंदी राम , लूथी रामएवं एक अन्य ने बढ़ई को 7 महीने लगे थे।

निष्कर्ष में कहा जासकता है रामडा के रा म सिंह रुदियाल की खोळी में ज्यामितीय , प्राकृतिक , मानवीय व आध्यात्मिक प्रतीकात्मक कलाओं के दर्शन होते हैं।

दो राय नहीं कि लोहबा के मिस्त्री चंदी राम व लूथीराम अपनेकाष्ठ कला उत्कीर्ण हुनर में विश्वकर्मा समान ही हैं और रमाडा में राम सिंह रुदियाल की खोली कल की दृष्टि से उत्कृष्ट खोळी मानी जाएगी।

सूचना व फोटो आभार : हिमालय नव संचार पत्रिका

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020