'''''बसगाळ''''''

(शैली -..तुकांत- दोहा इस्टैळ ..)

(१) मनखि मोळम चिफळी हड़गी अपड़ त्वड़ांद ।

बसगाळ कीच गिजार मा सतड़ पतड़ ह्वेजांद ।।

(२) कादै लगदि खुटौं मा कीच गिजार को छाप ।

बसगाळ तेरी कन माया भितरों आंद सिलाप ।।

(३) चाल चमकी अगास मा मनखि भजणा फफरट ।

उड़ेंदि बरखा मा भिजि की उपिरि कनु हफरट ।।

(४) बादळ गिड़कि पाणी खतै कखिम लिंगुड़ा होय ।

स्याला सिमार गौं धारमा जख कख मिढ़का रोय ।।

(५) छाम प्वड़ि कुएड़ी उड़ी लागि बरखा दणमण ।

भीटा पाखा उजड़ीगीं रौला नौळौ मा ब्वगण ।।

(६) बरखा ब्वाद मनखि से तु कभि ना बिसिरि मी ।

कतकुतु त्वै इन बणौंलु कि कनु रैलि छीं छीं ।।

(७) आंदु जब बसगाळ बल हूंदू चा मिढ़कौं कु ब्यो ।

ठपकिणि मारी बाटौंमा मनखि ख्यल्द खो खो ।।