गौं गौं की लोककला

गंगोलोहाट (पिथौरागढ़ ) में गोपू बिष्ट परिवार के एक भव्य बाखली में काष्ठ कला अलंकरण अंकन , नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : पंकज महर व गोपू बिष्ट

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 176

गंगोलोहाट (पिथौरागढ़ ) में गोपू बिष्ट परिवार के एक भव्य बाखली में काष्ठ कला अलंकरण अंकन , नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन ( बाखली , तिबारी , निमदारी , जंगलादार मकान , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला, अलंकरण, लकड़ी नक्कासी - 176

संकलन - भीष्म कुकरेती

उत्तराखंड में पारम्परिक भवन काष्ठ कला गंगोलीहाट व आस पास पाताल भुवनेश्वर क्षेत्र से कई भव्य भवनों , बाखलियों की सूचना व फोटो मिली हैं। ऐसी ही गंगोलीहाट के एक भव्य मकान , बाखली की सूचना फोटो सहित मिली है। बाखली आकार में व कला में कुछ विशेष है इसमें दो राय नहीं होनी चाहिए।

बिष्ट परिवार की तिपुर (तल +2 मंजिल ) बाखली निर्माण शैली बिलकुल कुमाऊं की विशिष्ठ भवन निर्माण शैली बाखली अनुसार ही है। गोपू बिष्ट की बाखली में काष्ठ कला विवेचना हेतु निम्न बिंदुओं पर टक्क लगानी आवश्यक है -

1 - गोपू बिष्ट परिवार की बाखली में तल मंजिल में भंडारों या गौशाला के कमरों के द्वारों पर लकड़ी नक्कासी -

गंगोलीहाट के गोपू बिष्ट परिवार की बाखली में तल मंजिल में चार भण्डारो में बड़े बड़े द्वार हैं और सपाट हैं अर्थात कोई विशेष काष्ठ अंकन नहीं हुआ है।

2 - गोपू बिष्ट परिवार की बाखली में लघु झरोखे /खिड़की /मोरी /छाज में काष्ठ कला व अलंकरण प्रायोजन -

गंगोलीहाट के गोपू बिष्ट परिवार की बाखली में कुल 12 लघु छाज /झरोखे /मोरी /खिड़की हैं व सभी लघु छाजों का रूप आकार वा काष्ठ अंकन एक जैसा ही है। लघु छाज चौखट का है व स्तम्भों व शीर्षों की कटाई ज्यामितीय ढंग से हुयी है याने ज्यामितीय अलंकरण वाले सिंगाड़ /स्तम्भ , मुरिन्ड /शीर्ष व दरवाजे हैं। लघु छाज के दरवाजे में अंडाकार छेद / ढुढयार है। लघु छाजों की मुख्य विशेषता है कि छाज के ऊपर अर्धवृत आकृति निर्मित है जिसमे बेल बूटों की आकृति अंकन आभास हो रहा है। लकड़ी के अंकित अर्ध वृत्त के ऊपर पाषाण अर्ध वृत्त है।

3 - गोपू बिष्ट परिवार की बाखली में बड़े ऊँचे झरोखों /छाजों में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी -

गंगोलीहाट के गोपू बिष्ट परिवार की तिपुर बाखली के पहली मंजिल में कुल बड़े चार छाज हैं व उनके ठीक ऊपर भी दूसरी मंजिल में चार बड़े छाज / झरोखे हैं याने पहली मंजिल के छाज का मुरिन्ड /सर /शीर्ष दूसरी मंजिल के बड़े छाज का आधार भी है। इस भव्य बाखली के बड़े छज्जों के दो झरोखे या द्वार हैं। झरोखे के किनारे , दीवार पर लगे मोटे स्तम्भ युग्म लघु स्तम्भ से निर्मित हैं तो दोनों झरोंखों के मध्य का मोटा स्तम्भ तिर्गट (तीन मिलकर ) लघु स्तम्भों से बने हैं। लघु स्तम्भों के आधार में बारीकी से उल्टा कमल , ड्यूल व सीधा (उर्घ्वगामी ) कमल फूलों का अंकन है व फिर यहाँ से स्तम्भ सीधे हो मुरिन्ड /शीर्ष जाते हैं। प्रत्येक स्तम्भ मुरिन्ड /सर /शीर्ष का एक तह /स्तर बनाता है। झरोखों के नीचे एक एक आयात आकृति में की काल्पनिक /प्राटीकात्मक या प्राकृतिक अलंकरण अंकित हुआ है व बारीकी से नक्कासी हुयी है।

बाखली के ऊपरी मंजिल या दूसरे मंजिल के बड़े छज्जों में दो झरोखों के मध्य स्तम्भों में ऊर्घ्वाकर कमल फूल से ऊपर शीर्ष/ मुरिन्ड तक दैव आकृति अंकिं हुयी है।

4 - गंगोलीहाट के गोपू बिष्ट परिवार की बाखली में तल मंजिल से ऊपर पहली मंजिल तक की दो खोलियों (मुख्य प्रवेश द्वार में काष्ठ कला , काष्ठ अलंकरण अंकन , लकड़ी पर नक्कासी।

गंगोलीहाट के गोपू बिष्ट परिवार की बाखली में दो खोलियाँ (ऊपर मजिल जाने हेतु मुख्य प्रवेश द्वार ) स्थापित हुयी हैं। दोनों खोलियों में किनारों पर दो मुख्य स्तम्भ हैं। प्रत्येक मुख्य स्तम्भ तिरगट लघु स्तम्भों से मिलकर बना है व ऊपर स्तम्भों की लकीरे ही मुरिन्ड के तह बनाते हैं जैसे बड़े छाजों में है। एक खोली के ऊपर अर्ध वृत्त है जैसे लघु झरोखों के ऊपर है व इस काठ के अर्ध वृत्त में जाली व चौखट आकार अंकन हुआ है . इस अर्ध वृत्त के ऊपर पाषाण अर्ध वृत्त यही। लकड़ी के अर्ध वृत्त में देव आकृति फिट है। दूसरी खोली के मुरिन्ड ऊपर चौखटाकार की आकृतियां अंकित है जो ज्यामितीय कटान से सम्भव हुआ है। यहाँ एक देव आकृति भी फिट हुयी है ।

निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि गंगोलीहाट के गोपू बिष्ट परिवार की भव्य व शानदार बाखली में प्राकृतिक , ज्यामितीय ही नहीं मानवीय प्रतीकात्मक अलंकरण अंकन हुआ है व नक्कासी में बारीकी व उत्कृष्टता साफ़ झलकती है। निर्माण व कला दृष्टि से गंगोलीहाट के गोपू बिष्ट परिवार की बाखली उत्कृष्ट वर्ग की बाखली है।

सूचना व फोटो आभार : पंकज महर व गोपू बिष्ट

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी। . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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