गौं गौं की लोककला

बगोरी (नेलंग घाटी , उत्तरकाशी ) के भवन संख्या 3 में काष्ठ कला, अलंकरण अंकन , नक्कासी

सूचना व फोटो आभार : Curtsey -Internet Nelong track

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उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 156

बगोरी (नेलंग घाटी , उत्तरकाशी ) के भवन संख्या 3 में काष्ठ कला, अलंकरण अंकन , नक्कासी

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 156

संकलन - भीष्म कुकरेती

बगोरी (नेलंग घाटी , उत्तरकाशी ) के भवन संख्या 3 में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

तिब्बत सीमावर्ती गाँव बगोरी (नेलंग घाटी उत्तरकाशी ) में भवनों में काष्ठ कला व अलंकरण श्रृखला में यह तीसरी कड़ी है जिसमे मुख्य भवन व उसके आस पास दो अन्य भवनों में काष्ठ कला व अलंकरण पर चर्चा होगी I

भवन 3 . 1- बगोरी (नेलंग घाटी , उत्तरकाशी ) के भवन संख्या 3 कड़ी में सामने से दिख रहा भवन वास्तव में अभी कुछ समय पहले तैयार भवन है क्योंकि दीवारें सीमेंट कंक्रीट की हैंI बगोरी की शैली में ही यह ढाईपुर मकान निर्मित हुआ है व तल मंजिल में भंडार या गौशाला हेतु छोड़ा गया है और अब जब से नेलंग घाटी भारतीय पर्यटकों के लिए खोल दी गयी है बगोरी में भवनों के तल मंजिल में दुकान खोलने के लक्षण मिलने लगे हैं I बगोरी (नेलंग घाटी , उत्तरकाशी ) के भवन संख्या 3 के 3.1 भवन यद्यपि आधुनिक है किन्तु लकड़ी प्रयोग, कला व उपयोग की दृष्टि से भवन पारम्परिक शैली /कला का है I

बगोरी के 3,1 भवन के पहली मंजिल में जाने हेतु सीमेंट की सीढियां बनी हैं I बगोरी (नेलंग घाटी , उत्तरकाशी ) के भवन संख्या 3 के 3,1 भवन में पहली मंजिल तल मंजिल पर लकड़ी की छत पर टिकी है I बरामदे से बाहर छ्ज्जेनुमा आकृति की कड़ी के उपर चार नक्कासीदार स्तम्भ टिके हैं I ये चार स्तम्भ स्वत: ही तीन ख्वळ/मोरी / दरवाजे बनाते हैं I सीढ़ी के किनारे वाले दो स्तम्भों के मध्य की खोली /मोरी दरवाजे के रूप में उपयोग हो रहा है व बाकी दो .ख्वाळ /खोळइयों में ढाई फिट ऊँचाई तक ही रेलिंग में दो लम्बी कड़ियाँ है I सभी चारों स्तम्भों में कलायुक्त अंकन हुआ है . प्रत्येक स्तम्भ के अधर पर लम्बा कुम्भी है , फिर युल है फिर सीधा कमल फूल है फिर स्तम्भ गोलाई में कम होता जाता है व जहाँ पर सबसे कम ओटाई है वहां स्तम्भ पर उलटे कमल की खुदाई है उसके ऊपर ड्यूल है फिर सीधा कमल फूल है फिर स्तम्भ मकी मोटाई कम होती जाती है व ऊपर ड्यूल कमल आदि का नीचे वाला दोहराव है I

रेलिंग की ऊपरी कड़ी के नीचे तरेनुमा आकृतियाँ खुदी हैं I इसी कड़ी के उपर थांत (criket bat blade) नुमा आकृति में कटान हुआ है व ये थांत नुमा आकृतियाँ जंगला बनती है . याने जंगले में आधार पर तारे नुमा आकृति फिर कड़ी व उसके उपर की कड़ी के मध्य कटान वाली थांत आकृतियों से जंगला बना है I

बगोरी (नेलंग घाटी , उत्तरकाशी ) के भवन संख्या 3 के 3.1 भवन की पहली मंजिल की छत या ढाईपुर के फर्श (लैंटर्न) के बाहर काष्ठ या धातु की तोरण नुमा आकृति लटकी है जो भवन की सुन्दरत वृद्धि कारक है I. ढाई पुर के सामने की दीवाल काठ की ही बनी है जो सपाट तख्तों /पटिलों से निर्मित है I

ढाईपुर की छट तीखी ढलवां है व ढाईपुर की छतआधार पटिले के बाहर एक तिपत्ती नुमा आकृति से सजी (कटान किये ) पट्टिका है जो स्यन्द्र्ता वृद्धि कारक है I

निष्कर्ष निकलता है कि बगोरी (नेलंग घाटी , उत्तरकाशी ) के भवन संख्या 3 के 3.1 भवन में स्तम्भों में आम गढ़वाल की तिबारियों व बगोंरी के अन्य तिबारी स्तम्भ /सिंगाड़ समान कमल फूल व ड्यूल आकृति अंकित हुयी है I

बाकी भवन में ज्यामितीय कटन से काष्ठ कला उभरी गयी है व आँखों को आनन्द दायक कला अंकित हुयी है I

सूचना व फोटो आभार :

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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