खैट पर्वत

1. खैट पर्वत की नौ श्रृंखलाओं में है नौ देवियों ;आंछरियोंध्परियोंद्ध का निवास स्थलए जिसे भराड़ी देवी भी कहा जाता है।

2. यहाँ दिखेंगी आपको दीवारों ऊँची चट्टानों पर उल्टी ओखलए

3. यहाँ मिलेगी लहसुन की खेतीण्

4. अखरोट के बागान ;पीड़ी पर्वतद्ध

5. लुकी पीड़ी पर्वत पर माँ बराडी का मंदिर

6. गर्भ जोन गुफा जिसका आदि न अंतण्

7. चौखुडू चौन्तुरु ;जहाँ आंछरियाँ नृत्य कला का प्रदर्शन करती हैं व खेल खेलती हैंण्

8. भूलभुलैय्या गुफा जहाँ नाग आकृतियाँ उकेरी हुई हैंण्

9. नैर.थुनैर नामक दो वृक्ष जिसके पत्तों से महकती है अजीबोगरीब खुशबुण्

खैट पर्वत या परियों का देश

अनसुलझे रहस्यों से भरा है खैट पर्वत

बचपन मे हम सभी अपने बुजुर्गो से परियों और देवी-देवताओं की कहानियाँ सुनते आ रहे है ।जिसमे से कुछ सच्ची तो कुछ काल्पनिक होती है ।उत्तराखंड के टिहरी मे स्थित खैट पर्वत उन्ही रहस्यो मे से एक है जिसे परियों का देश भी कहा जाता है ।कहा जाता है कि इस पर्वत पर अप्सरायें निवास करती है ।इस पर्वत पर बने खैटखाल मंदिर मे अप्सराऔं का निवास स्थान माना जाता है ।यहाँ कई लोग अप्सराऐ देखे जाने का दावा कर चुके है ।यहां की स्थानीय भाषा मे इन्हे आछिरी या मांतरी के नाम से जाना जाता है ।यह पर्वत समुद्र जल से लगभलग १०,५०० फीट की उंचाई पर स्थित है ।कहा जाता है कि खैट पर्वत की ९ श्रृंखलओं मे ९ अप्सरायें निवास करती है जो आपस मे बहने है ।और इन अप्सराओं को चटकीले रंग बहुत पसंद होते है यहां के लोगो का मानना हेकि अगर आप यहां चटक लाल या पीले वस्त्र पहन कर गये तो ये अप्सराऐ आपको अपने वस मे कर लेगी जिसके आपको बहुत बड़े दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते है ।स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र मे कुछ फसलें ऐसी भी होती है जिन्हें आप यहां से कहीं नही ले जा सकते और अगर लेकर भी गये तो ये खाने लायक नहीं रहती ।यहाँ चीखने चिल्लाने या बेेेेवजह किसी भी तरह के संगीत पर सक्त मनाही है ।उत्तराखंड से जुड़ी हुई इन अप्सराऔं की कहानियो मे जीतू बग्डवाल का नाम अक्सर आता है ।कहा जाता है कि जीतू बग्डवाल एक गडरिया था और गडरिया होने केे साथ बहुत अच्छी बांसुरी भी बजाता था ।वह अपनी भेड़ बकरियां चराने दूर दूर के जंगलो मे जाता था ।बकरियां चराते समय वह बांसुरी भी बजाया करता था ।जिसकी धुन पूरे जंगल मे सुनाई देती थी ।एक दिन उसकी बांसुरी की धुन यहाँ की अप्सराऔं को सुनाई दी और वहीं पर उसकी मृत्यु हो गई ।यह पर्वत गुम्बदाकार है और सालभर हराभरा रहता जिसके कारण लोग यहां खिंचे चले आते है ।इस पर्वत के दर्शन के लिए यहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु आते है ।और यहाँ ठहरने के लिए उचित व्यवस्था भी है ।आप भी एक बार यहां जरूर आइये कहते है कहा जाता है कि इस स्थान पर आकर कुछ अलग ही अहसास होता है ।जिसे शब्दों बयां करना मुश्किल है ।

देवभूमि में यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। आप भी देखेंगे तो यहां आए बिना रह नहीं पाएंगे।

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में स्थित यह खैट पर्वत आपको जन्नत की सैर करता है। यहां लोगों को अचानक ही कहीं परियों के दर्शन हो जाते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि परियां आस-पास के गांवों की रक्षा करती हैं। किस्सों की दुनिया से आगे निकलते हुए यह एक ऐसी जगह है, जहां आज भी लोग परियों और वनदेवियों को देखने का दावा करते हैं।

जानकारी के मुताबिक, अमेरिका की मैसास्युसेट्स यूनिवर्सिटी ने शोध भी किया है। उसमे पाया गया कि वहां कुछ अद्भुत शक्तियां हैं जो वहां जाने वाले लोगों को अपनी ओर खींचती हैं। खैटखाल नाम का एक मंदिर है जिसे यहां के रहस्यों का केन्द्र माना जाता है। यहां परियों की पूजा होती है और जून के महीने में मेला लगता है।

कहा जाता है कि, परियों को चटकीला रंग, शोर और तेज संगीत पसंद नहीं है। यहां एक जीतू नाम के व्यक्ति की कहानी भी काफी चर्चित है। कहते हैं जीतू की बांसुरी की तान पर आकर्षित होकर परियां उसके सामने आ गईं और उसे अपने साथ ले गईं।

कहा जाता है कि इस पर्वत पर नौ देवियां रहती हैं जिन्हें आंछरियां कहा जाता है। लोग उन्हें ही परियां मानते हैं। लोग मानते हैं कि यहां आकर जो लोग शोर करते हैं परियां उन्हें मूर्छित कर देती हैं और अपने साथ ले जाती हैं।

खैट पर्वत वनदेवियों, अप्सराओंद् का प्रमुख निवास स्थल है। देवलोक से भू.लोक तक रमण करने वाली ये परियां हिमालय क्षेत्र में वनदेवियों के रूप में जानी जाती हैं। गढ़वाल क्षेत्र में वनदेवियों को आछरी.मांतरी के नाम से जाना जाता है। कठित भौगोलिक परिस्थितियों के बीच किसी प्राकृतिक आपदा व अनर्थ से बचने के लिए पहाड़वासी वनदेवियों को समय.समय पर पूजते हैं। इससे ये वनदेवियां खुश रहती हैं।

टिहरी जिले में स्थित खैट पर्वत पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मनोरम है। खैट पर्वत समुद्रतल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। खैट पर्वत के चरण स्पर्श करती भिलंगना नदी का दृश्य देखते ही बनता है। खैट गुंबद आकार की एक मनमोहक चोटी है। इस चोटी में म खमली घास से ढका एक खूबसूरत मैदान है। जहां से दृष्टि उठाते ही सामने क्षितिज में एक छोर तक फैली हिमचोटियों के भव्य दर्शन होते हैं।

आसपास दूर.दर तक कोई दूसरा पर्वत शिखर न होने से यह इकलौता लघुशिखर अत्यंत भव्य मैदान पर पहुंचकर ऐसा आभास होता है मानों हम वसुंधरा की छत पर पहुंच गए हैं।दिल इस पर्वत शिखर से लौटने की अनुमति आसानी से नहीं देता है। खैट से दिखने वाले प्रमुख हिमशिखरों में बंदरपूंछए गंगोत्रीए स्वर्गारोहणीए यमुनोत्रीए भृगुपंथए सत्तापंथए त्रिशुलए चैखंबाए हाथी पर्वतए स्फाटिक जौलीएऐंच्वा खतलिंग आदि शामिल हैं। टिहरी जिले की आरगढ़ए गोनगढ़ए केमर पट्टी व भिलंगना घाटी का वृहद क्षेत्र यहां से दृष्टिगोचर होता है। 10000 फिट उंचाई की पर्वत श्रृंखला खैट पर्वत में परियों का वास है क्योंकि बागड़ी गॉवके जीतू बगडवाल व साली भरूणा का प्रेम प्रसंगए जीतू की बांसुरी व परियों द्वारा दिन दहाड़े खेतों में धान की रोपाई करते हुए हल बैल सहित जीतू बगड्वाल के हरण की गाथा अभी ज्यादा पुरानी नहीं हुई है। थात गॉव से 5 किमी दूरी पर स्थित खैट खाल मंदिर है रहस्यमयी शक्तियों का केंद्र है। इस मंदिर में पूजी जाने वाली नौ देवियों जिन्हें स्थानी लोगों द्वारा श्आछरीश् नाम दिया गया हैए कहा जाता है कि ये नौ देवियाँ बहन है और ये देवियाँ अदृश्य शक्तियों के रूप मे आज भी उस मंदिर मे स्थित है। इन देवियों की पूजा हेतु आए श्रध्दालुओं के लिए धर्मशालाएँ बनाए गए हैं। कुछ बातें यहाँ की शक्तियों को स्वयम् ही बयान करती है जैसे की उत्तराखंड मे अनाज को कुटने के लिए बनाई गई ओखली जिसे उत्तराखंड के लोगों द्वारा उखल्यारी कहा जाता है वह उखल्यारी पारम्परिक रूप से ज़मीन पर बनाई जाती है परंतु यही उखल्यारी खैट मे ज़मीन पर नही बल्कि दीवारों पर बनी है। यहॉ कई फसलों की उपज होती है परंतु वे फ़सलें व फल भी केवल उस मंदिर के परिसर तक ही खाने योग्य होते हैंए मंदिर व वहाँ के परिसर के बाहर वे वस्तुएँ निरुपयोगी हो जाती है। कहा जाता है इन आछरियो;परियोंद्ध को जो लोग अच्छे लगते हैं वे उन्हें मूर्च्छित करके अपने लोक मे शामिल कर लेती है इन सब बातों के कारण इस मंदिर की अपनी अलग ही विशेषताएँ हैं और ऐसी कई अन्य शक्तियाँ आज भी उत्तराखंड मे मौजूद है। इस वीराने में स्वत ही अखरोट और लहसुन की खेती भी होती है। अखरोट के बागान लुकी पीड़ी पर्वत पर मां बराडी का मंदिर गर्भ जोन गुफा है। भूलभुलैय्या गुफा जहां नाग आकृतियां उकेरी हुई हैं। अमेरिका की मैसाच्युसेट्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने भी एक शोध में पाया है कि इन जगह पर अजीब सी शक्तियां निवास करती हैं। खैट पर्वत पर्यटन और तीर्थाटन की दृष्टि से मनोरम है। खैट गुंबद आकार की एक मनमोहक चोटी है। इसलिए विशाल मैदान में स्थित ये अकेला पर्वत अद्भुत दिखाई देता है। कहा जाता है कि खैट पर्वत की नौ श्रृंखलाओं में नौ परियों का वास है। ये नौ देवियां नौ बहनें हैं। जो आज भी यहां अदृश्य शक्तियों के रूप में यहां निवास करती हैं।