गौं गौं की लोककला

बगोर(भटवाड़ी , उत्तरकाशी ) में एक तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

सूचना व फोटो

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 193

बगोरी (भटवाड़ी , उत्तरकाशी ) में एक तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन , नक्कासी

बगोरी ( , उत्तरकाशी ) में भवन काष्ठ कला , अलंकरण , नक्कासी श्रृंखला -8

गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , कोटि बनाल ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 193

संकलन - भीष्म कुकरेती

बगोरी ( भटवाड़ी , उत्तरकाशी ) में पहले एक तिबारी की विवेचना हो चुकी है I आज एक अन्य तिबारी की व्वेचना होगी उस भवन का नाम है बगोरी ( , उत्तरकाशी ) में भवन संख्या 7 I बगोरी के भवन संख्या 7 ढाई पुर भवन है व तिबारी पहली मंजिल पर है I तल मंजिल में भंडार है या खाली है जैसे बगोरी गाँव में सामन्य प्रचलन है I

तल मंजिल की छत याने पहली मंजिल का फर्श लकड़ी की कड़ीयों व तख्तों से बना है .पहली मंजिल पर तीन कमरों के आगे लम्बा बरामदा है जिस पट तिबारी के पांच स्तम्भ खड़े हैं I पांच स्तम्भ चार ख्वाळ या खोली बनाते हैं . प्रत्येक स्तम्भ के आधार पर उल्टे कमल फूल से कुम्भी निर्मित हुयी है फिर ड्यूल है व ड्यूल के उपर उर्घ्वागामी (सीधा ) कमल फूल है . कमल पंखुड़ियों में बेल बूटों की सुंदर नक्कासी हुयी है I जहां पर सीधा कमल फूल समाप्त होता है वहां से स्तम्भ की मोटाई कम होना शुरू हो जाती है I इसी ऊँचाई पर ख्वळ में दो स्तर/तह का जंगला पूरे ख्वाळ के आधार तक बिठाया हुआ है . जंगले का उपरी स्तर पटले /तख्ते में छेड़ कर नक्कासी कर जंगला बना है ति निचले स्तर का जंगला क्रोस (X) आकर के पट्टियों से बना है .

जहां से स्तम्भ सबसे कम मोटा है वहां पर उल्टा कमल फूल से घुंडी बनती है व उस उलटे फूल (अधोगामी कमल दल ) के उपर ड्यूल है व ड्यूल के उपर सीधा (उर्घ्वागामी ) कमल दल हैI कमल दल के उपर स्तम्भ थांत (Cricket Bat Blade type ) का शक्ल अख्तियार कर लेता है व थांत उपर ढाइ वां मजिल के फर्श की कड़ी से मिल जाता है I स्तम्भ से यहीं से मेहराब चाप का अर्ध खंड भी शुरू होता है जो दूसरे स्तम्भ के आधे खंड से मिलकर पूरा मेहराब बनता है I मेहराब तिपत्ति नुमा है I मेहराब के बाहर त्रिभुजों में नक्कासी हुयी है व सम्भवतया त्रिभुज के किनारे एक एक फूल भी खुदा है व त्रिभुज में नक्कासी हुयी है . स्तम्भ के थांत स्वरूप में कोई नक्कासी नही दिखीI पहली मंजिल की मुरिंड कड़ी व ढाई पुर के तह की कड़ी में भी कुछ नक्कासी नही दिखी . ढाई पुर बंद नही अपितु खुला है I

पहले मंजिल में ब्रस्म्दा चार पञ्च फीट चौड़ा है व बरामदे के अंदरूनी हिस्से में कमरे हैं व कमरों के दरवाजे मजबूत लकड़ी के हैं I. दरवाजों पर ज्यामितीय कला के दर्शन होते हैं Iबरामदे व कमरों के मध्य दीवार मजबूत लकड़ी के पट्टियों / बौळइयों /कड़ीयों की ही बनी है Iदो कमरे के मध्य दीवाल के उपरी भाग में दो मन्दिर रखने की आकृतियाँ बनी है (यथा शहरों में आम घरों में मन्दिर रखे जात्ते हैं ) दोनों मन्दिर गृहों में मेहराब बने हैं i

तीखी ढलवां छत आधार र से एक लम्बी व आयताकार काष्ठ आकृति फिट है जिस पर लता –सर्पिल पत्ती का अंकन दीखता है .

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बगोरी (भटवाड़ी उत्तरकाशी की भवन संख्या 7 की तिबारी भव्य व कला दृष्टि से उच्च स्तर की है व मकान में ज्यामितीय , प्राकृतिक अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है . मानवीय अलंकरण दृष्टिगोचर नही हुआ I

यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020