संग्राली (उत्तरकाशी) में स्व . ऋषिराम नौटियाल की तिबारी -निमदारी में काष्ठ कला , , अलंकरण, नक्कासी
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , काठ बुलन ) में काष्ठ कला अलंकरण, नक्कासी - 118
( काष्ठ कला व अलंकरण केंद्रित )
संकलन - भीष्म कुकरेती
उत्तरकाशी के भवन काष्ठ कला पर कई कला विद्व्वानों ने लेखनी चालयी है किन्तु कुछ ही मंदिरों व कुछ विशेष भवनों पर ही इतिहासकारों (जैसे डा हांडा व जैन ) व कलाविदों की नजर पड़ी है। इस श्रृंखला का उद्येश्य है कि गाँव गाँव के भवन का प्रलेखन हो सके। इस श्रृंखला में आज उत्तरकाशी के भटवाड़ी ब्लॉक में संग्राली में स्व ऋषिराम नौटियाल के 1948 में स्थापित दुखंड /तिभित्या भवन में काष्ठ कला अलंकरण , नक्कासी के बारे में चर्चा होगी।
ऋषिराम नौटियाल के दुपुर मकान की विशेषता है कि कम चौड़े छज्जे वाले पहली मंजिल में दो ओर लकड़ी के स्तम्भ वाली निमदारी नुमा आकृति है व एक ओर 6 सपाट स्तम्भों से सजा छज्जा है जो संभवतया सामन रखने के उद्देश्य से निर्मित किया गया होगा।
भवन के सामने वाले 7 स्तम्भ की निमदारी है व बगल वाले छोर में भी स्तम्भों से सजी निमदारी है। स्तम्भ छज्जे के ऊपर कड़ी के ऊपर आधारित हैं व ऊपर मुरिन्ड / मथिण्ड /शीर्ष कड़ी से जुड़ जाते हैं। स्तम्भ के आधार में दो ढाई फिट तक दोनों ओर छप्पटिकायें जुड़ने से स्तम्भ मोटा दिखाई देते है। इस जोड़ के बाद स्तम्भ में अधोगामी व उर्घ्वगामी कमल दल ,ड्यूल व ज्यामितीय आकर की कला दिष्टिगोचर होती है। शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड की कड़ी से नीची भी स्तम्भों में अधोगामी पद्म पुष्प दल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल, ड्यूल की आकृतियां व ज्यामितीय अकृत्यं अंकित हैं, दोनों ओर एक ही प्रकार की आकृतियां सामान अनुपात में काटी गयी हैं।
मकान में अन्य कोई विशेष लकड़ी पर नक्कासी के दर्शन नहीं होते हैं.
1948 में निर्मित संग्राली में ऋषिराम नौटियाल के भवन शिल्पकार बाडागडी उत्तरकाशी के थे।
इस तरह निष्कर्ष निकलता है कि संग्राली के ऋषिराम नौटियाल के मकान में प्राकृतिक (कमल दल ) व ज्यामितीय कला अलंकरण हुयी है और कहीं भी मानवीय कला अंकन के दर्शन नहीं होते हैं। भवन शानदार कोटि में आता है जिस पर काष्ठ अलंकरण सरल कला में है और सुंदर है।
सूचना व फोटो आभार : अम्बिका प्रसाद नौटियाल , संग्राली
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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