किसी ने तुम्हे कह दिया
बालकृष्ण डी ध्यानीदेवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
किसी ने तुम्हे कह दिया
किसी ने तुम्हे कह दिया
किसी ने तुम्हे कह दिया
किसी ने तुम्हे कह दिया
किसी ने तुम्हे कह दिया
किसी ने तुम्हे कह दिया
और तुमने उसे मान लिया
और तुमने उसे मान लिया
कभी मुझसे पूछा नहीं
कभी मुझसे पूछा नहीं
और मुझे पहचान लिया
और मुझे पहचान लिया
मैं धीर गंभीर समंदर सा
मैं धीर गंभीर समंदर सा
सब कुछ चुप हंसकर पी गया
सब कुछ चुप हंसकर पी गया
मेरा हृदय को तुम ने ऐसे छुआ की
मेरा हृदय को तुम ने ऐसे छुआ की
वो टूटकर चूर हुआ
वो टूटकर चूर हुआ
सबसे ऊंचा आकाश है
सबसे ऊंचा आकाश है
और तुमने उसे मान लिया
और तुमने उसे मान लिया
कभी तुम ने मुझे ठीक परखा ही नहीं
कभी तुम ने मुझे ठीक परखा ही नहीं
और मेरी गहराइयों को माप लिया
और मेरी गहराइयों को माप लिया
सागर में सबसे अधिक खारा पानी है
सागर में सबसे अधिक खारा पानी है
और तुमने उसे मान लिया
और तुमने उसे मान लिया
कभी मेरे उन आँखों को छलकते देखा नहीं
कभी मेरे उन आँखों को छलकते देखा नहीं
और उन आंसुओं को तोल दिया
और उन आंसुओं को तोल दिया
बरगद की जड़ें गहरी, मजबूत हैं
बरगद की जड़ें गहरी, मजबूत हैं
और तुमने उसे मान लिया
और तुमने उसे मान लिया
उन अपनी दोस्ती की जड़ों को सींचा ही नहीं
उन अपनी दोस्ती की जड़ों को सींचा ही नहीं
और उसे उखाड़ फेंक दिया
और उसे उखाड़ फेंक दिया
किसी ने तुम्हे कह दिया
किसी ने तुम्हे कह दिया
बालकृष्ण डी. ध्यानी
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