खमण में तिबारियों , निमदारियों में काष्ठ कला , अलंकरण उत्कीर्णन भाग -5
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखई ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 98
(लेख अन्य पुरुष में है इसलिए जी , श्री का प्रयोग नहीं हुआ )
संकलन - भीष्म कुकरेती
खमण कृषि ही नहीं उन्ना देस (भैर देश ) नौकरी में भी एक समृद्ध गाँव है। प्रस्तुत स्व भोला दत्त कुकरेती , स्व कृष्ण दत्त कुकरेती बंधुओं की निमदारी इस बात का साक्षी है कि पलायन के शुरुवाती दिनों या समय में प्रवासियों ने प्रवास में अपने रहने खाने में निवेश न कर अपने पहाड़ी गाँवों में मकान आदि में निवेश किया। उदाहरण सामने है कि स्व भोला दत्त कुकरेती व स्व कृष्ण दत्त कुकरेती रेलवे में नौकरी करते थे किन्तु उन्होंने मुम्बई या देहरादून में पहले अपने रहने खाने की चिंता न कर खमण में भव्य निमदारी पर निवेश किया। स्व कृष्ण दत्त कुकरेती ने सन 1968 के लगभग ही मुम्बई में अपने लिए रहने हेतु भवन फ़्लैट खरीदा, किन्तु पहले पहल खमण में निमदारी निर्मित की।
'बम्बै क सेठुं' याने भोला दत्त कुकरेती बंधुओं की निमदारी काफी भव्य है व अपने समय में खमण में नहीं अपितु आस पास के गाँवों में ' बम्बै क सेठुं जंगला ' कहलाया जात्ता था। बरात आदि का स्वगत इसी ' बम्बै क सेठुं जंगलेदार निमदारी ' में होता था। खमण में 'बम्बै क सेठुं जंगला ' एक लैंडमार्क था एक विशेष पहचान था। दो मंजिली जंगलेदार निमदारी का बिस्तार काफी है , आंगन भी क़ाफी बड़ा है। तल व पहली मंजिल में संभवतया दस कमरे हैं। ढांगू , डबरालस्यूं क्षेत्र जैसा ही मकान की पहली मंजिल में पाषाण छज्जा है जिसके आधार भी पाषाण दास /टोड़ी हैं। पाषाण छज्जे के बाहर काष्ठ छज्जे की कड़ी जोड़ी गयी है जिस पर 16 लगभग काष्ठ स्तम्भ स्थापित हैं।
बम्बै क सेठुं याने भोला दत्त बंधुओं की निमदारी के स्तम्भों की विशेषता है कि आधार से कुछ ऊपर (2 फ़ीट करीब ) कटान से डीला नुमा व घुंडी नुमा वा आकृति अंकित है व फिर कुछ ऊपर अधोगामी पद्म दल , डीला व ऊपर उर्घ्वगामी पद्म दल उत्कीर्णित है जहां से स्तम्भ का थांत (bat blade type ) आकृति बनती है तो दूसरी ओर दोनों दिशाओं में काष्ठ तोरण /मेहराब / चाप /arch का आधा भाग निकलता है जो दुसरे स्तम्भ के आधे चाप भाग से मिलकर तिपत्ति नुमा मेहराब बनाते हैं। काष्ठ तोरण /चाप /मेहराब arch निमदारी की सुंदरता वृद्धि में बहुत अधिक सहायक भूमिका निभाने में सहायक हुए हैं। एक तरफ स्तम्भ का थांत (bat blade type wood plate ) मकान के छत आधार काष्ठ पट्टिका से मिलता है तो मेहराब /तोरण शिरा (मुरिन्ड ) भी पट्टिका स मिलते हैं।
मकान के कमरों के दरवाजों पर कोई विशेष उल्लेखनीय नक्कासी के दर्शन नहीं होते हैं। मकान 1947 के बाद ही निर्मित हुआ होगा।
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि 'बम्बै क सेठुं' याने स्व भोला दत्त कुकरेती बंधुओं की निमदारी में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण उत्कीर्णित हुए हैं और मानवीय अलंकरण नहीं हुआ है। अपने बड़े होने से 'बम्बै क सेठुं' याने स्व भोला दत्त कुकरेती बंधुओं की निमदारी भव्य लगती है और आज भी भव्य है।