गौं गौं की लोककला

गमशाली (चमोली ) में परम्परागत तिबारी युक्त भवन में काष्ठ कला व अलंकरण

सूचना: -व फोटो आभार : सचिदा नंद सेमवाल

Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 84

गमशाली (चमोली ) में परम्परागत तिबारी युक्त भवन में काष्ठ कला व अलंकरण

चमोली , गढ़वाल में तिबारी , निमदारी , जंगलेदार मकानों में काष्ठ कला , अलंकरण -3

गढ़वाल, कुमाऊं , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला अलंकरण - 84

संकलन - भीष्म कुकरेती

प्राचीन काल से ही चमोली गढ़वाल का रहस्यात्मक आकर्षण भारत के अन्य भागों के निवासियों के लिए रहा है। और आज भी बरकरार है । चीन युद्ध 1962 के बाद गमशाली या नीति का व्यापारिक महत्व कम होने से गमशाली का भी महत्व कम ही हो गया है। गमशाली से अभी तक दो महवतपूर्ण मकानों में अद्भुत काष्ठ कलाओं की सूचना मिली है। प्रस्तुत भवन की मिल्कियत बारे में सचिदा नंद सेमवाल कोई सूचना न दे सके।

उत्तरी गढ़वाल विशेषतः जहाँ शीत प्रकोप अधिक होता था व भूकंप की संभावना अधिक होती थी वहां लकड़ी के मकान निर्माण का प्रचलन रहा है और यह उत्तरी चमोली , उत्तरकाशी व उत्तरी रुद्रप्रायग में साफ़ दीखता है। इसमें दो राय हैं ही नहीं कि जौनसार , रवाई , उत्तरी चमोली विशेषतः तिब्बत सीमा के निकट गांवों में भवन शैली गढ़वाल के अन्य हिस्सों से कुछ विशेष है।

तिब्बत सीमा पर नीति से दस किलोमीटर दूर एक गांव है गमशाली जो काकभुशंडी पर्वत से निकट है । गम शाली के इस मकान में भी मकान निर्माण शैली गढ़वाल के अन्य सामन्य मकानों से अलग ही है। चूँकि इस श्रृंखला में हमारा उद्देश्य शैली नहीं अपितु कला व अलंकरण रहा है तो हम केवल काष्ठ कला व अलंकरण दृष्टि से ही मकान की विवेचना करेंगे।

कला दृष्टि से देखें तो तल मंजिल में लकड़ी के खम्बे हैं व कमरों के दरवाजों पर आकर्षक ज्यामितीय कला साफ झलकती है तल मंजिल के कसी भी स्तम्भ , खाम /columns में कोई कला दृष्टिगोचर नहीं होती है।

आम तौर पर गढ़वाल के अन्य गाँवों में पहली मंजिल पर पत्थर या लकड़ी के बाह्य छज्जे पाए जाते हैं किन्तु गमशाली के इस गाँव मके इस मकान में कोई बाह्य छज्जा नहीं अपितु पट्टिकाओं /पटिलाों व कड़ी से दोनों तल जुड़े हैं। जोड़ स्थल में कड़ी पर फूल पत्तियों का अलंकरण हुआ है एवं ऐसा लगता है कि जैसे फूल और पत्तियां लटक रही हों , हवा में हिल रही हों यह है एक प्रमुख विशेषता गमशाली के इस भवनमें काष्ठ कला / अलंकरण की । गमशाली के समीक्ष्य मकान में छज्जा भीतर है व पहली मंजिल पर ही जंगला व तिबारी बँधी है। आंतरिक के ऊपर छज्जा जंगला व तिबारी सुशोभित है।

प्रस्तुत मकान की तिबारी सात स्तम्भों / सिंगाड़ों /column से निर्मित है व सात स्तम्भ छह मोरी /द्वार /खोळी बनाते हैं। स्तम्भों की कलकररी प्रत्येक स्तम्भ में एक जैसी ही है। तिबारी के स्तम्भों में अलंकरण व चित्रकारी लगभग गढ़वाल के अन्य भागों से मिलता जुलता है किन्तु गमशाली के इस तिबारी के स्तम्भों की गोलाई /मोटाई गढ़वाल के अन्य गाँवों की तुलना में कम है. स्तम्भ के आधार में कुम्भी , अधोगामी पद्म दल

(Lotus Petals ) हैं व फिर ऊपर की ओर डीला (round or ring shape wood plate ) है। डीले के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म दल है व फिर स्तम्भ की मोटाई कम होती जाती है किंतु शीर्ष से कुछ पहले डीला है व ऊपर ऊर्घ्वाकर कमल दल है व यहीं से मेहराब की पट्टिकाएं भी शुरू होतीहैं जो दूसरे स्तम्भ से मिलकर पूरामेहरब /arch बनाते हैं। मेहराब अर्ध चाप में फूल व प्राकृतिक कला अलंकृत हुयी है। मेहरबा बनाने से पहले स्तम्भ को कड़ी जोड़ती है व कड़ी व मेहराब के मध्य अलंकृत पट्टिका थीं किन्तु अब कुछ स्तम्भ व मेहरराब के मध्य पट्टिका निकल गयी हैं। इन पट्टिकाओं में आकर्षित वानस्पतिक कला अलंकृत है. इन पट्टिकाओं को एक कड़ी छत आधार पट्टिकाओं से जोड़ती है , कड़ी व छत आधार पट्टिकाओं में भी वानस्पतिक अलंकरण दृषिटगोचर होता है।

गमशाली व गढ़वाल के अन्य तिबारियों में दो अन्य भेद यहाँ साफ़ देखे जा सकते हैं

तिबारी के मुख्य स्तम्भों के समांतर एक एक कड़ी जिस पर बीच में नक्कासी है खड़े मिलते हैं जो गढ़वाल की अब तक विवेचित अन्य तिबारियों में नहीं देखा गया था। दूसरा विशेष अंतर् दीखता है कि गमशाली के इस मकान के तिबारी स्तम्भ आधार से ढाई फ़ीट ऊपर तक कलयुक्त दो प्रकार की एक के समांतर दो पट्टिकाएं है जिन्हे जंगले भी कह सकते हैं (?) इन प्रत्येक पट्टी में बहुदलीय पुष्प . है व प्रत्येक पट्टी में बहुदलीय पुष्प के बाहर अलग अलग कलाकृतियां उत्कीर्ण हुयी है। एक पट्टी में बहुदलीय पुष्प (अष्टदलीय ) के बाहर बेल बूटे हैं। एक पट्टिका में पुष्प के दोनों और हाथी हैं , एक पट्टिका में कोई अन्य दौड़ते पशु छवि दिक्ती हैं व ने पट्टिकाओं में भी कोई न कोई पशु हैं।

उपरोक्त पट्टिका के नीचे एक पट्टिका है जिस पर बाहर की और उभर लिए ज्यामितीय अर्ध वृत्त आकृति दृषिटगोचर होती है। यह पट्टिका शैली भी इस तिबारी भवन को गढ़वाल के अन्य तिबारी युक्त भवनों से अलग कर देती है।

गमशाली के इस तिबारी वाले मकान में कईविशेषताएँ है जो अन्य गढ़वाल की तिबारियों से अलग हैं जाइए -

बाह्य छज्जा न होना

आंतरिक छज्जा

तिबारी के मुख्य स्तम्भों के बगल में मुख्य स्तम्भों के समानांतर ही कम मोटाई के स्तम्भ जिन पर मध्य में घुंडी या कुम्भी उत्कीर्ण हुयी है।

तिबारी के स्तम्भों की मोटाई गढ़वाल की आम तिबारियों की तुलना में कम मोटाई की हैं।

छज्जे के जंगले की दो प्रकार की पट्टिकाओं का होना एक विशेषता है व ऊपर की पट्टिकाओं में प्राकृतिक व मानवीय (Natural and Figurative ) अलंकरण होना व नीचे की पट्टिका में वृताकार उभार का होना।

मेहराब के ऊपर पट्टिका व अलंकरण भी कुछ विशेष हैं।

निष्कर्ष में कह सकते हैं कि तिब्बत सीमा में बसे गमशाली गाँव के इस मकान व तिबारी में आकर्षक ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय आकर्षक अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है। .

सूचना व फोटो आभार : सचिदा नंद सेमवाल

Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020 (Interpretation)