गढ़वाली में गंध बोधक शब्दावली
गंध के विभिन्न प्रकारों के लिए गढ़वाली में अनूठी शब्दावली है। ये शब्द संपदा गढ़वाली की अपनी महत्वपूर्ण निधि है।
अमलाण- (अम्लीय गंध)
उगळाण- (काँसा या पीतल के बर्तन में रखी खट्टी वस्तु से आने वाली गंध)
कचाण- (कच्चे या अधपके खाने से आने वाली गंध)
किकराण- (ऊनी वस्त्र जलने की गंध)
किड़ाण- (बालों के जलने या बाघ की प्रजाति से आने वाली दुर्गंध)
कुकराण- (कुत्तों के शरीर से आने वाली दुर्गंध)
कुतराण- (सूती कपड़े जलने की गंध)
कुमराण- (ताजा घी बनाने की गंध)
कुल्ढाण- (गंदे कपड़ों की गंध)
कौंखाण- (अनाज से आने वाली गंध)
खटाण- (छाँछ या दही से आने वाली खट्टेपन की गंध)
खिकराण- (मिर्च या कोई तीखी चीज जलने की गंध)
खुड़क्याण- (छौंक की गंध)
खुमसाण- (पुराने अनाज से आने वाली गंध)
खौंकाण- (सड़े या बहुत दिनों तक सीलन में रखे अनाज से आने वाली गंध)
गुवाण- (मल से आने वाली गंध)
गौंताण- (गो मूत्र से आने वाली गंध)
घियाण- (घी की गंध)
चिलखाण- (कच्चे तेल की गंध, मांस भुनने की गंध)
चुराण- (पेशाब की गंध)
चौंळाण- (चावलों के पानी से आने वाली गंध)
छौंकाण- (छौंक की गंध)
जराण- (ज्वर के कारण शरीर से आने वाली गंध)
टौंकाण- (बदबू, दुर्गंध)
ढेबराण- (भेड़ों पर आने वाली गंध)
तमळाण- (ताँबे के बर्तन में रखी वस्तु से आने वाली गंध)
तेलांण- (किसी तली हुई चीज पर आने वाली कच्चे तेल की गंध)
त्वमाण- (लौंकी की प्रजाति 'त्वमड़ी' की गंध)
दुधाण- (दूध की गंध)
दौंदाण- (भिगाई हुई दाल को पीसकर बनाए गए अधपके साग पर आने वाली गंध)
धुवांण- (धुएँ की गंध)
पदाण- (अधोवायु की गंध)
पितळाण- (पीतल के बर्तन में रखी खट्टी वस्तु से आने वाली गंध)
पिपराण/पिराण- (प्याज, मिर्च या सरसों के तेल आदि से आने वाली तीखी गंध)
फुक्याण- (जलने की गंध)
बखराण- (बकरियों पर आने वाली गंध)
बस्याण- (बासी भोजन की गंध)
ब्वखलाण/लुराण- (छोटे बच्चों के शरीर से आने वाली तेल आदि की गंध)
भुज्याण- (किसी अनाज को भूनने पर आने वाली गंध)
भुटाण- (छौंक की गंध)
भुभलाण- (खराब घी की गंध)
मछल्याण- (मछली की गंध)
मटाण- (मिट्टी की गंध)
मुंगाण- (मूंग दाल की गंध)
मोळाण- (गोबर की गंध)
सड़्याण- (सड़ी हुई वस्तु से आने वाली दुर्गंध)
सिलपाण- (सीलन की गंध)
हळ्दाण- (हल्दी की गंध)
(साभार- हिंदी-गढ़वाली-अंग्रेजी शब्दकोश - रमाकान्त बेंजवाल एवं बीना बेंजवाल। संरक्षण आधार- अरविंद पुरोहित)