गौं गौं की लोककला

सुकई( पौड़ी गढ़वाल ) में रावत सूबेदारुं तिबारियों व खोळी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन; लकड़ी नक्काशी

सूचना व फोटो आभार: संतन सिंह रावत

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Copyright @ Bhishma Kukreti , 2020

उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 209

सुकई ( पौड़ी गढ़वाल ) में रावत सूबेदारुं तिबारियों व खोळी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन; लकड़ी नक्काशी

बंगार स्यूं (पौड़ी गढ़वाल ) में काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी नक्काशी भाग --- 3

गढ़वाल, कुमाऊँ, उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी नक्काशी - 209

संकलन - भीष्म कुकरेती

बंगारस्यूं (पौड़ी गढ़वाल ) में सुकई गाँव थोकदारों व सैनिकों के लिए प्रसिद्ध गाँव है। सुकई गाँव से कई तिबारियों व खोलियों की जानकारी मिली है। आज सुकई के रावत सूबेदारुं तिबारी व खोळी में काष्ठ कला व अलंकरण पर चर्चा होगी। सुकई के रावत सूबेदारुं मकान दुपुर , दुघर मकान है। इस मकान में दो तिबारियां व उनके मध्य खोळी स्थापित है। सुकई के रावत सूबेदारुं तिबारी व खोळी दोनों भव्य हैं।

खोळी (आंतरिक प्रवेश द्वार ) तल मंजिल से पहली मंजिल तक है। खोळी के दोनों ओर सिंगाड़ /स्तम्भ हैं व प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ चार उप स्तम्भों के युग्म (जोड़ ) से बी बना है। चार उप स्तम्भों में से दो सीधे तलसे ऊपर मुरिन्ड के तह /layer बनाते हैं व इन उप स्तम्भों में बेल बूटों का अंकन हुआ है। बाकी दो स्तम्भ आम तिबारियों के स्तम्भ जैसे हैं कि तल में आधार में उल्टे कमल फूल से कुम्भी , कुम्भी के ऊपर ड्यूल व फिर सीधा खिला कमल फूल यहां से उप स्तम्भ लौकी शक्ल ले ऊपर चलते हैं व जहां सबसे कम मोटाई है वहां उल्टा कमल फूल है फिर ड्यूल है उसके ऊपर सीधा खिला कमल फूल है। वहां से उप स्तम्भ सीधा हो ऊपर मुरिन्ड की तह बनाते हैं।

खोळी के मुरिन्ड बहुस्तरीय है व सब कड़ियों में प्राकृतिक अलंकरण हुआ है। मुरिन्ड में एक चौखट है जिसमे तोरण बना है व तोरण के अंदर गणपति की मूर्ति स्थापित है। तोरण से बाहर के त्रिभुजों में एक एक बहुदलीय फूल अंकित हैं चौखट एम् खाली जगह में जालीदार आकृतियां अंकित हैं।

मुरिन्ड के अगल बगल में छप्परिका के आधार से लग क्र नीचे मुरिन्ड तक तीन तीन दीवारगीर (bracket ) हैं। प्रत्येक दीवारगीर में सात गट्टे स्थापित हैं व ऊपर आसन है जिसमे एक एक हाथी मूर्ति स्थापित है। इस तरह कुल छह हाथियों की मूर्तियां स्थापित हैं।

छप्परिका आधार से शंकु नुमा 40 -50 काष्ठ आकृतियां दो पंक्तियों में लटकी हैं।

सुकई के रावत सूबेदारुं के भव्य मकान में पहली मंजिल पर खोळी के दोनों ओर एक एक तिबारी स्थापित है। दोनों तिबारियां आकार व कला अलंकरण दृष्टि से इकजनि हैं। दोनों भव्य तिबारियां चौखम्या व तिख्वळ्या (चार स्तम्भ व तीन ख्वाळ ) हैं।

प्रत्येक स्तम्भ पाषाण छज्जे पर स्थित देहरी पर चौकोर पाषाण डौळ के ऊपर स्थापित हैं। सिंगाड़ /स्तम्भ के आधार पर चौकोर कुम्भी है जो उल्टे कमल फूल से बना है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा खिला कमल फूल आकृति अंकित है व यहां से स्तम्भ लौकी रूप धारण कर ऊपर बढ़ता है। जहां पर स्तम्भ की सबसे कम मोटाई है वहां पर कमल जैसा ड्यूल आकृति अंकित है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी कमल पुष्प अंकित है। यहाँ पर कमल फूल से स्तम्भ सीधा चौकोर थांत आकृति धारण कर ऊपर मुरिन्ड की कड़ी से मिल जाता है।

जहां से थांत आकृति शुरू होती है वहां से स्तम्भ से मेहराब का आधा चाप शुरू होता है जो सामने के स्तम्भ के आधे चाप से मिल पूरा मेहराब बनाते हैं। मेहराब तिपत्ति (trefoil ) रूपी हैं। प्रत्येक मेहराब के बाहरी त्रिभुजों में बेल बूटे व प्रत्येक त्रिभुज के किनारे एक एक बहुदलीय फूल अंकित हैं।

मुरिन्ड कई स्तर कीअलंकृत कड़ियों से निर्मित है। दोनों तिबारियों के मुरिन्ड के किनारे एक एक हाथी आकृति अंकित है।

निष्कर्ष निकलता है कि पौड़ी गढ़वाल के बीरों खाल के बंगार स्यूं पट्टी में सुकई गाँव में रावत सूबेदारुं के भव्य मकान की दो तिबारियों व भव्य खोळी में ज्यामितीय कटान , प्राकृतिक व माविय कला अलंकरण अंकन हुआ है व नक़्काशु उम्दा किस्म की नक्काशी हुयी है।

सूचना अनुसार वर्तमान में जितेंद्र रावत मकान के मालिक हैं।

सूचना व फोटो आभार: संतन सिंह रावत

यह लेख भवन कला संबंधित है . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .

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