चार धाम यात्रा
चार धाम यात्रा
यमुनोत्री है पहला पड़ाव
यमुनोत्री को चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव कहा जाता है। यहां यमुना का पहाड़ी शैली में बना मनमोहक मंदिर है और मंदिर के पास ही खौलते पानी का स्रोत है जो तीर्थ यात्रियों के आकर्षण का केंद्र है। यमुनोत्री पहुंचने के लिए आप दिल्ली से देहरादून या ऋषिकेश तक हवाई यात्रा या रेल यात्रा से पहुंच सकते हैं। यहां से आगे सड़क मार्ग और आखिरी कुछ किलोमीटर पैदल चलकर यमुनोत्री पहुंच सकते हैं।
गंगोत्री है दूसरा पड़ाव
चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव गंगोत्री है। यमुनोत्री के दर्शन कर तीर्थ यात्री गंगोत्री में गंगा माता की पूजा के लिए पहुंचते हैं। गंगा का प्राकृतिक स्रोत गोमुख ग्लेश्यिर गंगोत्री से 18 किलोमीटर दूर है। यमुनोत्री से गंगोत्री की सड़क मार्ग से दूरी 219 किलोमीटर है जबकि ऋषिकेश से गंगोत्री की दूरी 265 किलोमीटर है और वहां से वाहन से सीधे पहुंचा जा सकता है।
कैसे पहुंचे केदारनाथ?
चारधाम यात्रा का तीसरा पड़ाव केदारनाथ धाम है जो उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में आता है। ऋषिकेश से गौरीकुण्ड की दूरी 76 किलोमीटर है और यहां से 18 किलोमीटर की दूरी तय करके केदारनाथ पहुंच सकते हैं। केदारनाथ और लिंचैली के बीच 4 मीटर चौड़ी सीमेंटेड सड़क बना दी गई है जिससे श्रद्धालु आसानी से केदारनाथ पहुंच सकते हैं।
कैसे पहुंचे बद्रीनाथ?
चारधाम यात्रा का चौथ पड़ाव बद्रीनाथधाम तक गाड़ियां जाती हैं, इसलिए यहां मौसम अनुकूल होने पर पैदल नहीं जाना पड़ता। बद्रीनाथ को बैकुण्ठ धाम भी कहा जाता है। यहां पहुंचने के लिए ऋषिकेश से देवप्रयाग, श्रीनगर, रूद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, चमोली और गोविन्दघाट होते हुए पहुंचा जा सकता है।
चारधाम यात्रा 2018: कैसे पहुंचें और किन बातों का रखें ध्यान, जानें सबकुछ
अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा शुरू हो जाती है ।