गढ़वाल में राजपूत
सन् 1882 में एटकिंसन ने लिखा है कि खस, नेगी, बिष्ट और रावत स्थानीय मूल के हैं। इनकी आबादी कुल दर्ज राजपूतों की आबादी का नब्बे प्रतिशत है। शेष दस प्रतिशत वे हैं जिनका मूल मैदानी जिलों में है। 'नेगी' एक उपाधि है जिसके साथ परिलब्धि जुड़ी है। यह उपाधि पूर्व राजाओं के अधीन सैनिक या असैनिक पद प्राप्त व्यक्ति को मिलती थी लेकिन यहां के लोगों में जाति के रूप में लोकप्रिय हो गई। इसी प्रकार बिष्ट या ज्यादा सही रूप में 'विशिष्ट' अच्छे या आदरणीय का पर्याय है तथा यह भी जाति नाम की जगह एक उपाधि सूचक संबोधन है। रावत का मतलब सरदार या अधिकारी जैसे 'पधान' और अन्य संबोधन लेकिन अब यह भी जाति नाम रूप ले चुका है। इनमें से हर एक की आगे उपजातियाँ विभाजित हैं। नेगियों की ही सोलह उपजातियाँ हैं :- काला, एकाई, फतेह बहादुर, सिमाणा, सलार्या, मुंडा, बग्लाना, मलासा, खत्री, डोगरा, म्योर, जग्ये, कालिनी, नगरकोटिया, पाटली और फराई। बिष्ट जिन उपजातियों में विभाजित हैं वे- कफोला, पड्यार, हीत, कन्होणिना, बसनाल, भरेला और साबलिया हैं। रावतों की उपजातियाँ- रिंगड़ा, बंगारा, गोर्ला, सिलाला हैं। रावतों की ये उपजातियाँ गढ़वाल की पट्टी रावतस्यूं, रिंगवाड़स्यूं और बंगारस्यूं के नाम पर हैं।
असवालस्यूं के असवाल स्वयं को चौहान बताते हैं। बर्त्वाल खुद को धारा नगरी से आया कहते हैं। सजवाण जलंधर से आए हैं। घुड़दोड़स्यूं के घुड़दुड़ा टिहरी राजा के वंशज हैं, म्योर लोग मेवाड़ से आए हैं। मल्ल नेपाल से, कठायत काली कुमाऊँ से और रौतेला कुमाऊँ से आए हैं। खत्री लोग यहां हाल ही में बसे हैं। बधाण के बुटोला स्वयं को मैदानों से आए तलवार (तंवर) बताते हैं। चौंदकोट के रौथाण स्पष्टतः गोसाइयों के वंशज हैं। पंवार, पुंडीर, राठौर, चौहान, सोलंकी और अन्य प्रमुख राजपूत मैदानी जातियों के प्रतिनिधि भी पहाड़ों में हैं।
इसके अलावा कई पट्टियों के नाम वहां की खस राजपूत आबादी के थात-गाँव के नाम पर पड़ गया। बगड़वाल और अंबान बनारस के भट्ट थे लेकिन वे राजपूत हैं। रमोला और दानस या दानव इस नाम की आदिम जनजाति के प्रतिनिधि हैं। दलनी और बुकिला स्वयं को रावत बताते हैं। बोरा, कैड़ा, और चोरिया कुमाऊँ से आए हैं। (हिमालयन गजेटियर- एटकिंसन -3 -हिंदी अनुवाद- प्रकाश थपलियाल, पृ० 258-59)
सन् 1882 से 1884 में एटकिंसन ने हिमालयन गजेटियर तीन खण्डों में प्रत्येक के दो भाग कुल 6 भाग कोस्मो पब्लिकेशन से प्रकाशित किए। सन् 1918 में हरिकृष्ण रतूड़ी जी ने गढ़वाल का इतिहास लिखा और लगभग इसी बीच रायबहादुर पातीराम जी ने 'गढ़वाल एन्सेंट एण्ड माडर्न' लिखा था। रतूड़ी जी के इतिहास से लगता है कि उन्होंने हिमालयन गजेटियर नहीं पढ़ा था। इसी लिए कई जगह इतिहास में भिन्नता भी लगती है। वहीं पातीराम जी ने हिमालयन गजेटियर के संदर्भ भी दिए हैं। हरिकृष्ण रतूड़ी जी राजा के वज़ीर थे। राजपूतों पर उनकी दी गई सूची में जाति, पूर्व जाति, प्रथम वंश, आने का संवत् तथा कहां से आये इस प्रकार है:-
अस्वाल- (नागवंशी, -,945, रंथभौ)
इड़वाल बिष्ट- (परिहार, ईड़, 913, दिल्ली)
उनाल- (-, ऊन, -)
कठैत- (कठोच, -, -, कांगड़ा)
कडवाल रावत- (-)
कंडियाल- (-, कांडी, -)
कंडी गुसांई- (राजवंशी, कंडारा गढ़, 428, मथुरा)
कनेत- (-)
कफोला बिष्ट- (यदुवंशी, -, कंपीला)
कफोला रावत- (-)
कमीण- (-)
कयाड़ा रावत- (पंवार, -, 1463, -)
कलूड़ा- (-)
काला भंडारी- (-, काली कुमाऊँ से आये)
कुरमणी- (-)
कुंवर- (परमार, राजवंश, 945, धार गुजरात)
कैंत्युरा- (कैंत्युरा, -, कुमाऊँ से)
कोल्या नेगी- (-, कोल्ली, -, कुमाऊँ)
कोल्ला रावत- (-)
खड़काड़ी नेगी- (-)
खड़कोला नेगी- (कैंत्युरा, खड़खोली, 1169, कुमाऊँ)
खत्री नेगी- (-)
खाती गुसांई- (-)
खूंटी नेगी- (मियां, खूंटी, 1113, कांगड़ा)
गगवाड़ी नेगी- (-, गगवाड़ी, 1476, मथुरा)
गुराड़ी रावत- (-)
गुसांई- (-)
गूजर- (-)
गोर्ला रावत- (पंवार, गुराड़, 817, गुजरात)
गोविणा रावत- (पंवार, गोवीनगढ़, -)
घंडियाल रावत- (-)
घुड़दुड़ा गुसांई- (-)
चंद- (चंदवंशी, -, 1613, कुमाऊँ)
चमोला बिष्ट- (पंवार, चमोली, 1443, उज्जैन)
चिंत्तोला नेगी- (-, चिंत्तोलगढ़ से)
चोपड़िया नेगी- (-, 1442, हस्तिनापुर)
चौहान- (चह्वान, उप्पूगढ़, -, मैनपुरी)
जम्वाल नेगी- (मियां, -, जम्मू से)
जयाड़ा रावत- (-, जयाड़ गढ़, - , दिल्ली)
जस्कोटी- (-, जसकोट, -, सहारनपुर)
जेठा रावत- (-)
जोश्याल- (बदरीनाथी, जोशीमठ, -,)
झिंक्वास रावत- (-)
ठाकुर- (-)
डंगवाल- (-, डांग,-)
तड़याल ठाकुर- (-, तड़ी, -)
तिल्ला बिष्ट- (-, चित्तौड़ से)
तुलसा रावत- (-)
तेल भंडारी- (-)
तोरड़ा रावत- (-, कुमाऊँ से)
दिकोला रावत- (मरहेटा, दिकोला, 415, महाराष्ट्र)
दुर्याल- (बदरीनाथी, पांडुकेश्वर, -)
धमादा- (राजवंशी, -)
धमादा बिष्ट- (चह्वान, -, दिल्ली)
नकोटी- (नगरकोटी, नकोट, -, कांगड़ा)
पटवाल गुसांई- (-, पाटा, 121, प्रयाग)
पटूड़ा नेगी- (-, पटूड़ी)
पडियार बिष्ट- (परिहार, -, 1300, धार)
पडियार नेगी- (परिहार, -, 1860, दिल्ली)
पुंडीर नेगी- (पुंडीर, -, 1722, सहारनपुर)
पुंडीर भण्डारी- (पुंडीर, -, 1700, मायापुर)
पयाल ठाकुर- (कुरुवंशी, पयाल, -, हस्तिनापुर)
परसारा रावत- (चह्वान, परसारी, 1102, ज्वालापुर)
पंवार- (परमार, राजवंशी, 945, धार गुजरात)
पुंडीर- (पुंडीर, -, 1700, मायापुर)
फरस्वाण रावत- (-, फरासू, 432, मथुरा)
बगड़वाल बिष्ट- (-, बगोड़ी, 1519, सिरमौर )
बगलाण नेगी- (-, 1703, बागल)
बंगारी रावत- (-, बांगरी, 1662, बांगरी)
बरवाणी रावत- (तंअर, -, 1479, मासी गढ़)
बर्त्वाल- (पंवार, बड़ेत, 945, उज्जैन)
बागड़ी- (-, 1417, बागड़)
बिष्ट- (-)
बुटोला रावत- (तंअर, -, 800, दिल्ली)
बुलसाड़ा नेगी- (कैंत्यूरा, -, कुमाऊँ से)
बेदी खत्री- (-, 1700, नेपाल)
बेंद्वाल बिष्ट- (-)
बोहरा- (-)
भंडारी- (-)
भल्डा- (-)
भाणा नेगी- (-)
भोटिया नेगी- (हूण राजपूत, हूण देश)
मखलोगा ठाकुर- (पुंडीर, मखलोगी, 1403, मायापुर)
मंद्रवाल- (कैंत्यूरा, -,1711, कुमाऊँ)
मन्यारी रावत- (-, मन्यार, -,)
मयाल- (-, कुमाऊँ)
मसोल्या रावत- (-, धार)
महरा नेगी- (गूजर राजपूत, -, लंढौरा)
माण नेगी- (-, पटना)
मियां- (-, जम्मू)
मुखमाल- (-, मुखवा)
मुलाणी बिष्ट- (कैंत्यूरा, मुलाणी, 1403, कुमाऊँ)
मेहता- (जैनी, -, 1590, पानीपत)
मोंडा नेगी- (-, बागल)
मौंदारा रावत- (पंवार, -, 1453)
रजवार- (कैंत्यूरा, -, 1711, कुमाऊँ)
रणौत- (रणावत, -, राजपूताना)
रमोला- (चह्वान, रमोली, 254, मैनपुरी)
रांगड़- (रांगड़, -, सहरनपुर)
राणा- (सूर्यवंशी, -, 1405, चित्तौड़)
रावत- (-)
रिंगवाड़ रावत- (कैंत्यूरा, रिंगवाड़ी, 1411, कुमाऊँ)
रौछेला- (तंअर, -, दिल्ली)
रौतेला- (परमार, राजवंश, 945, धार गुजरात)
रौथाण गुसांई- (-, 945, रंथभौ)
लोहवान नेगी- (चह्वान, लोहबा, 1035, दिल्ली)
संगेला नेगी- (जाट राजपूत, -, 1769, सहारनपुर)
संगेला बिष्ट- (-, 1400, गुजरात)
सजवाण ठाकुर- (मरहट्टा, राजवंशी, -, महाराष्ट्र)
सरवाल नेगी- (-, 1600, पंजाब)
सिपाही नेगी- (मियां, -, 1743, कांगड़ा)
सिंह नेगी- (बेदी, -, 1700, पंजाब)
सौत्याल नेगी- (-, सौती, -, नेपाल)
सौंद नेगी- (राणा, सौंदाड़ी, -, कैलखुरी)
हाथी नेगी- (-)
(टाइपिंग मिस्टेक हो तो क्षमा करें)
(साभार - गढ़वाल हिमालय- रमाकान्त बेंजवाल)