तुम्हारे साथ

बालकृष्ण डी ध्यानीदेवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

तुम्हारे साथ


मुझे याद आती हो तुम

बहोत याद आती हो तुम

बस इतना ही काफी है

मेरे अहसासों को जगाती हो तुम

बस इतना ही काफी है


कहाँ मैं ढूँढू कहाँ

बता दे मैं तुझे ढूँढू कहाँ

जब तू मुझ में ही कंही बाकी है

बस इतना ही काफी है

यूँ ही हरपल बन गुनगुनाती हो तुम

मुझे यूँ ही पास बुलाती हो तुम

बस इतना ही काफी है


तेरे ही सपनों में

खोना चाहूँ

तेरे ही संग यूँ ही रहना चाहूँ

कभी जुदा तुझ से ना होना चाहूँ

बस इतना ही काफी है

मेरे जज्बातों , ख्यालों संग

गुदगुदाती हो तुम

बस इतना ही काफी है


बिखरे पड़े हैं आंसूं

उन आँखों से लड़े पड़े हैं आंसूं

जीवन के ये बीस बरस

लदे सजे पड़े हैं वो सुखद आंसूं

बस इतना ही काफी है

बस मुझे वो अपना बनाती है

जीवन कैसे जीना है सिखाती है

बस इतना ही काफी है


बालकृष्ण डी. ध्यानी

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