आभास
बालकृष्ण डी ध्यानीदेवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित
अर्जन करता रहा ये मन
अर्जन करता रहा ये मन
उज्ज्वल कल के लिए
उज्ज्वल कल के लिए
उपयुक्त था ऐसा करना मेरा
उपयुक्त था ऐसा करना मेरा
क्या आने वाले पल के लिए
क्या आने वाले पल के लिए
निर्माण सदैव करता रहा
निर्माण सदैव करता रहा
एक दिन निर्वाण होने के लिये
एक दिन निर्वाण होने के लिये
कंगाल अब होने लगा हूँ
कंगाल अब होने लगा हूँ
अब कंकाल होने के लिए
अब कंकाल होने के लिए
आदि काल जो गया वो गया
आदि काल जो गया वो गया
आदी होके जीने के लिए
आदी होके जीने के लिए
बालिका तरुणी हो गयी
बालिका तरुणी हो गयी
तरणि लहरों के वेग के लिए
तरणि लहरों के वेग के लिए
देव अब बन सकता नहीं
देव अब बन सकता नहीं
दैव में ऐसा लिखा हुआ
दैव में ऐसा लिखा हुआ
आवास सदैव साथ रहा
आवास सदैव साथ रहा
सिर्फ आभास होने के लिए
सिर्फ आभास होने के लिए
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