© नरेश उनियाल,

ग्राम -जल्ठा, (डबरालस्यूं ), पौड़ी गढ़वाल,उत्तराखंड !!

सादर शुभ संध्या प्रिय मित्रों...

एक गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ.... समाद फरमाएं.. 🌹🙏🌹

"सुनहरी यादें"

जिन्दगी गुजरी थी क्या संगमरमरी

आज फिर से, याद आयी सुनहरी !!1!!

क्या ही था वह खूबसूरत बचपना,

गोद जब मिलती थी माँ की,मखमली !!2!!

थे गजब के मौज भी, इसकूल में,

श्यामपट्ट पर, चॉक की जादूगरी !!3!!

आ गये कॉलेज, हम हीरो हुए,

मस्तियों से नूर थी, तब जिन्दगी !!4!!

वह पहाड़ी झील, वह अठखेलियाँ,

साथ में अपनी भी,थी एक जलपरी !!5!!

योग्यता अपनी बढ़ाई , ढंग से,

सरकार ने भी, नौकरी दे दी भली !!6!!

आपका सत्संग है, अब संग मेरे,

साथ में बालक हैं दो, और सहचरी !!7!!

जिन्दगी गुजरी थी, क्या संगमरमरी,

आज फिर से, याद आयी सुनहरी !!8!!

फोटो साभार... गूगल सर्च.. 🌹🌺