अरे ओ साम्भा ! ये गढ़वाली कवियों ने 'पिछल्वाड़ी का बाड़ी ' खाया है क्या ?

अरे ओ साम्भा ! ये गढ़वाली कवियों ने 'पिछल्वाड़ी का बाड़ी ' खाया है क्या ?

धै - भीष्म कुकरेती -

गब्बर -अरे ओ साम्भा ! अरे गढ़वाली कवि कहाँ हैं रे ?

चिर सुंदरी भुंदरा बौ -ये निर्भागी हरीसिंगै बेबगतै औलाद। तू अब गढ़वाल म छै अर साम्भा तै मर्यां कुजाणी कथगा साल ..

गब्बर -सॉरी सॉरी। अरे ो भुंदरा बौ ! चलती क्या पाबौ बजार ?

चिर सुंदरी भुंदरा बौ - हैं ! पाबौ बजार ? कहाँ से सीखा तूने ये पाबौ बजार ?

गब्बर - ओ मै यूट्यूब पर गाणा सूण ।

चिर सुंदरी भुंदरा बौ -भौत ी बढ़िया गाणा है रे गब्रु

गब्बर - पर यूट्यूब में गढ़वाली कवियों की कविताएं भौत कम क्यों हैं भुंदरा बौ ?

चिर सुंदरी भुंदरा बौ - गढ़वालियों ने पिछल्वाड़ी का बाड़ी ' जो खाया है

गब्बर -मतबल ?

चिर सुंदरी भुंदरा बौ - देख जब मिड्ल ईस्ट जाने से फायदा था तो गढ़वाली होटल की नौकरी ढूंढ रहे थे। बाद में गए जब ...

गब्बर -हूँ ..

चिर सुंदरी भुंदरा बौ - फिर जब सॉफ्टवेयर का जामना आया तो प्राइवेट नौकरी ढूंढ रहे थे गढ़वाली।

गब्बर -हूँ

चिर सुंदरी भुंदरा बौ - इसी तरह जब ऑनलाइन साहित्य का जमाना आया तो गढ़वाली साहित्यकार पत्रिकाएं खोज रहे थे।

गब्बर -हूँ ! और अब यूट्यूब और टिक टॉक का जमाना है , वेब सीरीज पर कुछ करने का बखत है , जमाना है तो व्हट्सप में टाइम बर्बदाद कर रहे हैं।

चिर सुंदरी भुंदरा बौ -मदन डुकलाण , जबर सिंग कैंतुरा , गिरीश सुन्दरियाल, मधुसूदन थपलियाल, जिज्ञासु भी ऑनलाइन में भी कविता नहीं पोस्ट कर रहे हैं।

गब्बर सिंग -देवेंद्र जोशी , मनोज रावत , डा कोटनाला , जगमोहन बिष्ट , यतेंद्र गौड़ भी तो इंटरनेट के लिए सोये हैं

चिर सुंदरी भुंदरा बौ -हाँ यूट्यूब की जगा नया माध्यम आ जाएगा तो ये कवि जगेंगे और नेट में ब्लॉग बनाएंगे। गढ़वालियों ने तो पिछल्वाड़ी का बाड़ी ' खाया है

गब्बर सिंग -नै नै आज जमाना यूट्यूब , टिक टोक का है तो सभी कवियों को यूट्यूब या टिक टॉक में अपनी कविताएं लोड करनी ही चाहिए