ना किसी को तू आवाज दे

बालकृष्ण डी ध्यानीदेवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

ना किसी को तू आवाज दे


ना किसी को तू आवाज दे

ना किसी का तू अब साथ ले

उड़ता रह नीले आसमान पर

बस अपने शब्दों को परवाज दे


यंहा कोई किसी का नहीं

सब रिश्ते हैं बस नाम के

अपना नाम बड़ा करने में

यूँ फिजूल वक्त ना बर्बाद कर


अकेला है ये सारा सफर

अच्छा है जल्दी जितना जान ले

मना ले अगर मनता है कोई

नहीं तो उसको छोड़ उसके हाल पर


है क्या तू इतना घमंड क्यों

बस दो साँसों के तारों को यूँ जोड़कर

पल भर में राख यूँ हो जाएगा

जोड़कर रखा फिर ले जा साथ तू


ना किसी को तू आवाज दे


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