गढ़वाली कविता

बालकृष्ण डी. ध्यानी

बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथमेरा ब्लोग्सhttp://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुर

आज कु जी आणू होलु ?

आज कु जी आणू होलु ?


आज को जी आणू होलु

ईं जिकुड़ि मां दैल फ़ैल कै जाणा कुन

आज कु जी आणू होलु ?


सुरुक ऐईं कनुडि का बाटा

तू माया का गीत गाणा कुन

यन काळी लटल्यूं दगडी खेल की

ऐजा ऐमा लटें जाणा कुन

मेर माया बुलाणी छा

ऐजा ईमा अलझे जाणा कुन

आज कु जी आणू होलु ?


झप्प कैकी ऐई तू

ऐ म्यारा दिल मा

झुणमुंणाट बरखा सी

समै जा ये जिकुड़ि खोलि मां

द्वि स्वास अबेर यखुली यखुली छन

ऐ जाणा छन अफे ऐक ह्वै जाणा कुन

आज कु जी आणू होलु ?


माया ल अंग्वाली खोलि छ

आज अपड़ा गीच भतेक तू बोली दे

तेरे अंख्यों न खूब बोली अबै तक

तू ऐकी मिथे अंग्वाली भेंटि जै

देखि मिल बस त्वै आंदा जांदा

गेड़ी छुट्ना पैला गेंठी जै

आज कु जी आणू होलु ?