( आभार स्व. अबोध बंधु बहुगुणा जन्होने इसे गाड म्यटेकी गंगा में आदि गद्य के नाम शे छापा, , स्व. केशव अनुरागी जिन्होंने ढोल सागर का महान संत गोरख नाथ के दार्शनिक सिधान्तों के आधार पर व्याख्या ही नही की अपितु ढोल सागर के कवित्व का संगीत लिपि भी प्रसारित की , , स्व शिवा नन्द नौटियाल जिन्होंने ढोल सागर के कई छंद को गढ़वाल के नृत्य-गीत पुस्तक में सम्पूर्ण स्थान दिया, एवम बरसुड़ी के डा विष्णुदत्त कुकरेती एवम डा विजय दास ने ढोल सागर की व्याख्या की है )