बरसुड़ी (लंगूर ) में स्व . कलीराम कुकरेती की भव्य तिबारी
लंगूर सन्दर्भ में गढ़वाल , हिमालय की तिबारियों/ निमदारियों / जंगलों पर काष्ठ अंकन कला -1
दक्षिण गढ़वाल, (लंगूर , ढांगू , उदयपुर , डबरालस्यूं , अजमेर, शीला ) उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन ) - 42
संकलन - भीष्म कुकरेती
बरसुड़ी में लोक कलाओं के बारे में कुछ सूचना पहले भी दे दी गयी है। लंगूर का बरसुड़ी गाँव लँगूरगढ़ी , रजकिल , द्वारीखाल का निकटवर्ती गाँव . यहां के कुकरेती जसपुर (ढांगू ) से पंडिताई हेतु बसाये गए थे। बरसुडी में क्चक तिबारी व जंगलदार कूड़ों की सूचना मिली थी। बरसुड़ी से एक तिबारी की फोटो व सूचना उदय राम कुकरेती ने भेजी है जो उनके दादा ने निर्मित करवाई थी।
जैसे की आम तिबारी होती हैं इस तिबारी में भी चार सिंगाड़ , स्तम्भ , column हैं जो तीन खोळी , द्वार , मोरी बनाते हैं। किनारे के दोनों सिंगाड़ /स्तम्भ दीवार नक्कासीदार कड़ी की सहायता से जुड़े हैं। दोनों कड़ियों पर वानस्पतिक अलंकरण हुआ है और जब कड़ी ऊपर शीसरष बनाती हैं तो उस पट्टी पर भी वानस्पतिक /प्राकृतिक अलंकरण साफ़ उभर कर आता है।
कलीराम कुकरेती की इस तिबारी में भी स्तम्भ आधार देहरी /देळी पर टिके हैं. देहरी के ऊपर स्तम्भ का आधार या कुम्भी /पथ्वड़ अधोगामी पुष्प दल की शक्ल में है फिर ऊपर एक डीला या धगुल उभर कर आता है। फिर इस डीले या धगुल से खिलता कमल दल की पंखुड़ियां उभरती हैं। फिर सिंगाड़ पर ज्यामितीय रेखाएं दिखती हैं। रेखाएं जहां समाप्त होती हैं वहां डीला /धगुल उभरता है व फिर उर्घ्वगामी कमल दल शुरू होता है। कमल दल के ऊपर पट्टिका है और वहीं से सिंगाड़ से मेहराब पट्टिका (अर्ध मंडल ) शुरू होता है जो दूसरे सिंगाड़ के मेहराब के अर्ध मंडल से मिलकर पूर्ण मेहराब बनता है। मेहराब , चाप या arch तिपत्ती स्वरूप है। बीच का चाप नुकीला है। मेहराब या चाप के बाहर की हर पट्टिका पर एक फूल व एक S नुमा आकृति उभर कर आया है। सारी पट्टिका पर वानस्पतिक अलंकरण हुआ है।
स्तम्भ का ऊपरी भाग चाप से अलग दीखता है क्योंकि अलंकरण हुआ है और इस भाग (थांत के ब्लेड नुमा ) एक पर्तीकात्मक आकृति दिखती है।
स्तम्भ शीर्ष व चाप शीर्ष /मुंडीर में पट्टिकाओं पर वानस्पतिक अलंकरण हुआ है. मुण्डीर छत के छज्जे से जुड़ा है।
तिबारी निर्माण काल 1900 -1910 क्व करीब होना चाहिए। कलाकार कहाँ से आये की सूचना नहीं मिल पायी है।
बरसुड़ी के कलीराम कुकरेती की इस तिबारी में भव्यता तो है साथ में वनस्पतीय /प्राकृतिक अलंकरण है व ज्यामितीय अलंकरण है जो इस तिबारी को भव्यता प्रदान करते हैं
सूचना व फोटो आभार : उदयराम कुकरेती , बरसुड़ी ,
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020