गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड, की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी नक्काशी - 224
संकलन - भीष्म कुकरेती
बडोली (एकेश्वर पौड़ी गढ़वाल ) के बारे में कहा जाता है कि बडोलाओं के प्रथम पुरुष बडोळी में बसने के कारण बडोला हुए। सुनील बडोला के फेसबुक वाल से बड़ोळी के एक तिपुर में जंगले की फोटो मिली जो कुछ विशेष है। पहले तो मकान तिपुर है जो जौनसार , रवाईं छोड़ बहुत कम गढ़वाल में मिलते हैं । दूसरी विशेषता है कि इस दुखंड /दुघर -तिपुर मकान में जंगला पहले मंजिल में नहीं है अपितु दूसरी मंजिल में है।
तिपुर मकान के दूसरी मंजिल में दो तरफ काष्ठ जंगला बंधा है सामने की ओर व किनारे की तरफ, जबकि पहली मंजिल में केवल छज्जा ही है। अनुमान लगाना सरल है कि जंगले में बीस स्तम्भ (खाम ) होंगे। खां /स्तम्भ लकड़ी के छज्जे के आधार से सीधे ऊपर मुरिन्ड /शीर्ष की कड़ी से मिल जाते हैं। खामों /स्तम्भों के मुरिन्ड से मिलने से पहले मध्य में तोरण /मेहराब निर्मित है और यही मुख्य काष्ठ कला है इस जंगलेदार मकान में . निष्कर्ष निकलता है कि बडोली (एकेश्वर , पौड़ी गढ़वाल ) के इस तिपुर , दुघर /दुखंड मकान में केवल ज्यामितीय अलंकरण प्रयोग हुआ है। मकान की मुख्य विशेषता इसकी तिपुर शैली व दूसरी मंजिल में जंगला बंधा होना है।
सूचना व फोटो आभार : Suneel Badola
यह लेख भवन कला संबंधित है . भौगोलिक स्थिति व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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