गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन , लकड़ी नक्काशी - 202
संकलन - भीष्म कुकरेती
टिहरी जनपद के जौनपुर , पल्लीगाड पट्टी क्षेत्र से कई भव्य तिबारियों , निमदारियों की सूचना मिल रही हैं। आज इसी क्रम में 80 वर्ष पहले बुटकोट (जौनपुर ) में स्व अनंत राम गौड़ द्वारा निर्मित नौखम्या -अठख्वळ्या (नौ स्तम्भ या आठ ख्वाळ वाली ) भव्य तिबारी में काष्ठ कला अलंकरण अंकन (नक्काशी ) पर चर्चा होगी। आज बुटकोट के इस भव्य तिबारी को लोक गायक मनोज गौड़ की तिबारी नाम से पहचाना जाता है।
बुटकोट (पल्ली गाड ) के गौड़ परिवार के दुपुर , दुघर (दुखंड ) मकान के पहली मंजिल में नौ सिंगाड़ों (स्तम्भों , खामों ) वाली भव्य तिबारी स्थापित है। नौ खम्या तिबारी का सीधा अर्थ है कम से कम चार कमरों से बने बरामदे पर नौ स्तम्भों से निर्मित तिबारी स्थापित है। मकान में सीढ़ी बाहर से है जिसका अर्थ है खोळी निर्मित नहीं है या बंद कर दी गयी है।
तिबारी के नौ के नौ खामों।/ सिंगाड़ों/ स्तम्भों में कटान व कला एक जैसी है। सभी स्तम्भ /खाम /सिंगाड़ पत्थर के छज्जे के ऊपर स्थापित देळीदेहरी में आधारित हैं।
प्रत्येक स्तम्भ के आधार में कुछ कुछ चौकोर अधोगामी पद्म पुष्प दल (उल्टे कमल फूल की पंखुड़ियां ) से बना है। अधोगामी कमल फूल के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर सीधा कमल फूल खिला है। यहां से स्तम्भ /सिंगाड़ लौकी शक्ल ले लेता है व जहां पर स्तम्भ सबसे कम मोटा है वहां एक उल्टा कमल फूल है जिसके ऊपर सीधा कमल फूल है व यहाँ से सिंगाड़ /स्तम्भ सीधा ऊपर थांत (Cricket bat blade type ) की शक्ल अख्तियार कर मुरिन्ड (शीर्ष ) से मिल जाता है और यहीं थांत की जड़ से ही मेहराब का आधा भाग शुरू हटा है जो सामने के स्तम्भ के आधे भाग से मिलकर पूरा मेहराब बनता है। मेहराब या तोरण तिपत्ति शैली (trefoil )में कटा है व इसके बाह्य त्रिभुजों में कोई कला अंकन नहीं दिखती है।
निष्कर्ष निकलता है बल जौनपुर टिहरी के बुटकोट में गौड़ परिवार की नौखम्या -अठख्वळ्या तिबारी भव्य है व भव्य तिबारी में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण ही हुआ है। कहीं भी मानवीय अलंकरण (Figurative ornamnetation ) के चिन्ह नहीं मिलते हैं।
सूचना व फोटो आभार: जगमोहन सिंह जयाड़ा