केदारनाथ -बद्रीनाथ ट्रैक सड़क पर कांचुला में खरक के रेस्ट हाउस में काष्ठ कला, अलंकरण अंकन , लकड़ी पर नक्कासी
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी - 165
(अलंकरण व कला पर केंद्रित )
संकलन - भीष्म कुकरेती
चमोली गढ़वाल के गोपेश्वर मंडल में कांचुला खरक क्षेत्र अपने वन्य जीवियों विश्व प्रसिद्ध क्षेत्र है। केदनरनाथ -बद्रीनाथ ट्रेक ( साहसिक आनंद हेतु पैदल सड़क ) में कांचुला क्षेत्र में यात्रियों हेतु एक रेस्ट हाउस भी यहाँ स्थापित है जिसकी फोटो व सूचना किशोर रावत से साभार मिली। इस भवन की मुख्य विशेषता है कि छत को छोड़ बाकी हिस्से का अधिकतर हिस्सा लकड़ी से निर्मित है व बहुत ही आकर्षक है। मकान को देखकर बरबस ब्रिटिश जमाने में जंगलों के बीच फारेस्ट गार्ड चौकी मकान की याद आ जाती है। यह भवन ब्रिटिश शैली व गढ़वाली शैली का मिला जुला रूप है।
मकान उबर (केवल तल मंजिल ) शैली का है व अंदर हॉल , बेड रूम आधुनिक सुविधाएँ हैं। शौचालाय भी बाहर है व अभिनव शैली का है। खम्बों में ज्यामितीय कटान हुआ है और खड्डा -उभार शैली आकर्षण पैदा करने में सक्षम है। बरामदे के आधार पर कटघरा /जंगल े है व दो रेलिंग के मध्य जंगले हैं।
मकान के बाहर दो मुख्य चौकोर बरामदे हैं जिनकी घेराबंदी चार चार खड़े स्तम्भ करते हैं। स्तम्भ सीधे सपाट हैं तथा खम्बों में ज्यामितीय कटान हुआ है और खड्डा -उभार शैली आकर्षण पैदा करने में सक्षम है। बरामदे के आधार पर कटघरा /जंगला है व दो रेलिंग के मध्य जंगल हैं। कमरों के दरवाजों में सिंगाड़ /फ्रेम पर भी ज्यामितीय कला उपयोग हुआ है। मकान को सबसे अधिक आकर्षक बनाने में दीवारों पर समानांतर (पड़े रूप में ) काष्ठ पट्टिकाों के उपयोग से हुआ है। ये पट्टिकाएं ही रेस्ट हॉउस की सुंदरता का विशेष कारण है। छत के नीचे तिकोने स्थान में भी खड़ी पट्टिकाओं का प्रयोग हुआ है। शौचालाय की दीवारों में भी पड़ी पट्टिकाओं का प्रयोग हुआ है।
मकान में प्राकृतिक व मानवीय अ लंकरण नहीं हुआ है केवल ज्यामितीय कटान से ही मकान को आकर्षक बना दिया व थका यात्री को भवन की सुंदरता देखकर ही राहत पंहुच जायेगी । ज्यामितीय कटान से भी आकर्षक भवन निर्मित हो सकते हैं इसका उदाहरण है कांचुला के खरक का यह रेस्ट हाउस। भवन निर्माण में 'गढ़वाली लखड़ कटण ब्यूंत ' तकनीक व 'गढ़वाली काठ चिरण ब्यूंत ' तकनीक का ही उपयोग हुआ है।
सूचना व फोटो आभार : किशोर रावत
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी से मिलती है अत: वस्तुस्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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