बयेला (द्वारहाट ) में पांडे बंधुओं की बखाई के एक भाग में भवन काष्ठ कला अलंकरण विवेचना
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखई , खोली , काठ बुलन ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन - 106
(केवल कला व अलंकरण केंद्रित)
संकलन - भीष्म कुकरेती
सासंकृतिक व सामजिक परिपेक्ष में बयेला गाँव , द्वारहाट , अल्मोड़ा (कुमाऊं ) एक महत्वपूर्ण गाँव है. बयेला से भी उत्कृष्ट कोटि की बखाईयों , मोरियों की सूचना मिली हैं
प्रस्तुत मकान याने पांडे बंधुओं का आलीशान भवन में बखाई , मोरी -छाज व खिड़कियों में उच्च किस्म का काष्ठ उत्कीर्णन साफ़ दिखता है। मकान के उत्तराधिकारी प्रमोद पांडे अनुसार मकान निर्माण के वक्त उनके पिता जी की देहरादून में दुकान थी व आजादी के समय बलवा के चलते वे गाँव आ गए। इस मकान को पूरा करने में उन्होंने अपनी पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिए थे। मकान बाहर से ही नहीं अपितु अंदर से भी कला अलंकृत सुसज्जित है व कठवड़ (अलमारी ) में भी नक्कासी हुयी है। आज बयेला के प्रस्तुत पांडे बंधुओं के मकान के side बगल वाले भाग में ही काष्ठ कला , काष्ठ अलंकरण पर चर्चा करेंगे।
बयेला (द्वारहाट ) में पाण्डे बंधुओं के ढैपुर वाले भव्य मकान के side / बगल वाले भाग में निम्न भागों में काष्ठ कला उत्कीर्णन व काष्ठ अलंकरण की विवेचना होगी -
१- तल मंजिल में कमरे के सिंगाड़ /स्तम्भों व मुरिन्ड /मथिण्ड में भवन काष्ठ कला अलंकरण
२- तल मंजिल की एक खड़की के सिंगाड़ /स्तम्भों व मथिण्ड /मुरिन्ड व उसके ऊपर मेहराब /तोरण में काष्ठ कला व काष्ठ अलंकरण
३- पहली मंजिल में बखाई के एक खड़िकी के सिंगाड़ /स्तम्भों व मथिण्ड /मुरिन्ड व उसके ऊपर मेहराब /तोरण में काष्ठ कला व काष्ठ अलंकरण
४- पहली मंजिल में मुख्य मोरी /छाज के सिंगाड़ /स्तम्भों व मुरिन्ड /मथिण्ड , मेहराब में भवन काष्ठ कला अलंकरण
१- बयेला में पांडे बंधुओं के मकान के बगल वाले भाग के तल मंजिल में कमरे के सिंगाड़ /स्तम्भों व मुरिन्ड /मथिण्ड में भवन काष्ठ कला अलंकरण :-
कमरे के दरवाजे पर दोनों ओर अलंकृत काष्ठ स्तम्भ (सिंगाड़ column s ) हैं। सिंगाड़ /स्तम्भ काष्ठ की देहरी /देळी में टिके हैं , स्तम्भों के आधार में कमल पुष्प रूपी कुम्भी बने हैं व ऊपर लंकृत कड़ी (shaft of column )है जो ऊपर दरवाजे के मथिण्ड /मुरिन्ड कड़ी से मिल जाते हैं , मेहराब बिहीन मथिण्ड /मुरिन्ड /मोर चौकोर है।
२- बयेला में पांडे बंधुओं के मकान के बगल वाले भाग के तल मंजिल में खिड़की के सिंगाड़ /स्तम्भों व मुरिन्ड /मथिण्ड में भवन काष्ठ कला अलंकरण :-
चूँकि भवन निर्माण शैली पर आइरिश /ब्रिटिश भवन शैली का पूरा प्रभाव है (छत , छत में धुंवा मार्ग) और यह खड़कियों के बड़े आकर होने पर भी दीखता है। खड़िकी के दरवाजे के सिंगाड़ /स्तम्भ भी अलंकृत हैं और अलंकरण /कला कुछ कुछ मुख्य दरवाजों के स्तम्भों से मिलते जुलते है। प्रस्तुत भवन में बगल की खिड़की में चौकोर मथिण्ड /मुरिन्ड के ऊपर मेहराब का होना है और यह एक मुख्य विशेषता में गिना जायेगा। खड़की के इस मेहराब में बहुभुजीय देव आकृति अंकित हुयी है व प्राकृतिक अलंकरण भी मेहराब में हुआ है।
३- बयेला के पांडे बंधुओं के मकान के बगल वाले भाग में पहली मंजिल में बखाई के एक खड़िकी के सिंगाड़ /स्तम्भों व मथिण्ड /मुरिन्ड व उसके ऊपर मेहराब /तोरण में काष्ठ कला व काष्ठ अलंकरण :-
पहली मंजिल की खिड़की में उच्च कोटि का कला अलंकरण उत्कीर्णन हुआ है। स्तम्भों में नयनाभिरामी चित्र उभरे हैं। खिड़की के दरवाजे पर दो तरह के आध्यात्मिक प्रतीक अलंकरण (मानवीय अलंकरण ) चित्र उत्कीर्ण हुए हैं। इसी तरह खिड़की के मथिण्ड /मुरिन्ड के ऊपर बने मेहराब में उगता सूर्य या अन्य कोई पर्तीकात्मक परालरीतिक अलंकरण अंकित हुआ है।
४- बयेला (द्वारहाट ) में पण्डे बंधुओं के बखाई भवन के पहली मंजिल में मुख्य मोरी /छाज के सिंगाड़ /स्तम्भों व मुरिन्ड /मथिण्ड , मेहराब में भवन काष्ठ कला अलंकरण: - इस भवन के बगल वाले भाग में पहली मंजिल के मुख्य खोली के मोर (जीने बाहर झाँका जाता है ) अंडाकार हैं व उन पर कलाकारी हुयी है। इस दिशा में मुख्य मोरी में कुमाउनी शैली के तीन स्तम्भ (एक एक स्तम्भ दो दो या तीन तीन स्तम्भों से मिलकर निर्मितहोना ) हैं व प्रत्येक स्तम्भ में कमल दल व अन्य प्राकृतिक छटा के कलाकृतियां अंकित हैं। स्तम्भ में प्राकृतिक व जयमितीय कला अलंकरण हॉबी है। स्तम्भ चौखट मुरिन्ड /मथिण्ड में भी बेल बूटे अंकित हुए के छाप दिखाई दे रहे हैं। अंडाकार खोल या मोरी /झाँकने का स्थल के बाहर प्राकृतिक व ज्यामिति काष्ठ कला के दर्शन होते हैं। कालकृति व बनावट भव्य हैं।
मकान के बगल वाले मकान के कर्म या मोरी /छाज के स्तम्भों में भी काठ कला उत्कीर्ण हुयी है।
निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि आजादी के बाद सम्पूर्ण होने वाले भव्य मकान में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय (मुख्यतया देव आध्यात्मिक आकृति ) अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है।
सरंरचना दृष्टि से भी मकान में एकरूपता। समरूपता का ख्याल रखा गया है। इसी तरह अनऔपचारिक - औपचारिक संतुलन , एकरसता तोडू कला, समानुपातिक दूरी व अंतर , गतिशीलता , लयता , आदि सभी का ध्यान रखा गया है। कलाकार वास्तव में पारम्परिक स्कूल (परिवार ही स्कूल ) के परीक्षित थे जो इतने बड़े मकान में कला संरचना का पूरा ध्यान रखा गया है।
सूचना व फोटो आभार : प्रमोद पांडे , बयेला
यह लेख भवन कला संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं
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