क्वी उडिल्यो कतगै असमाना
आखिरि मोरिकि माटम अाणा
धर्ती सबसे पैलि पुजीन्दा
वी हमतैई सबिकुछ दींदा
जख माटी से घिरणा हूंदा
वीं शिक्षा तै हम नी लींदा
हमुलत धिरणै उजण्यां पैरा
हालम जांणा भोल सुबेरा
चिलगट खण्ड काव्य से
Copyright Jaipal Singh Rawat
अपणि भाषा कुमाउ गढ़वाल।
सभी जणदरौं म पौंछ य बात।
छैंच पढंदरौं कु ये म हात।।
मिलै कि दिल्ली एन सी आर।
लगातार ह्वेगिन षाल चार।।
भौण दुधबोली की सौंप्याल।
आज बिंगण बैठि गीं नौन्याल।।
Copyrigt Jaipal Singh Rawat
एक मतला दो शेर
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बोल के करदो खुलासा आज बस्ती में
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कूदना है बीच सागर में यही जानो
तैरते ही जाइए फिर रोज कश्ती में
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लौ समर्पण की नहीं दिल में अगर है तो
प्यार वो बदनाम है फिर मटरगश्ती में
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रचयिता: जयपाल सिंह रावत
संतनगर बुराड़ी दिल्ली