बालकृष्ण डी. ध्यानी
@ सर्वाधिकार सुरक्षित
हजारों कहानियां
बातें की थी
वो ख़ुशी
अपने से
तेरी एक मुस्कान ही
भिगो देती हैं .......
बालकृष्ण डी. ध्यानी की हिंदी कविता