उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में (विचारों में) ढूँढ़ेगी।’’ — वं० माताजी
मित्रो! मैं व्यक्ति नहीं विचार हूँ।.....हम व्यक्ति के रुप में कब से खत्म हो गए। हम एक व्यक्ति हैं? नहीं हैं। हम कोई व्यक्ति नहीं हैं। हम एक सिद्धांत हैं, आदर्श हैं, हम एक दिशा हैं, हम एक प्रेरणा हैं।.....हमारे विचारों को लोगों को पढ़ने दीजिए। जो हमारे विचार पढ़ लेगा, वही हमारा शिष्य है। हमारे विचार बड़े पैने हैं, तीखे हैं। हमारी सारी शक्ति हमारे विचारों में समाहित है। दुनिया को हम पलट देने का जो दावा करते हैं, वह सिद्धियों से नहीं, अपने सशक्त विचारों से करते हैं। आप इन विचारों को फैलाने में हमारी सहायता कीजिए। - पूज्य गुरुदेव
गायत्री मंत्र हमारे साथ-साथ—
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
मानव जीवन—सर्वोपरि सौभाग्य
देवियो, भाइयो! जीवन कितना महत्त्वपूर्ण है? यह आपका सबसे बड़ा सौभाग्य है । इस समय जो सौभाग्य आपको मिला हुआ है इस पर कभी आप गौर करें तो आप इस बात पर विचार मत करिए कि आप किस बिरादरी में पैदा हुए हैं। आपका खुद का मकान है कि नहीं? आप कहाँ तक पढ़े हुए हैं? आपके पास कितने कुटुम्बी हैं? आपको सफलता मिली कि नहीं मिली। आप कैसा डिवीजन लाए? वगैरह-वगैरह। आपके पास जो सामान है उस पर आप विचार मत कीजिए। फिर क्या करें? आपको एक ऐसी बड़ी चीज मिली हुई है जिस नियामत पर आप बराबर गर्व अनुभव कर सकते हैं। वह क्या है? वह है—इंसानी जिंदगी। आदमी का जन्म इतना बड़ा सौभाग्य है कि आप इसकी कल्पना नहीं कर सकते।
मित्रो! इस जीवन का कितना महत्त्व है, अगर आपकी जिंदगी छिन जाए, उस समय आपको यह पता चले कि हमको कितनी बड़ी नियामत मिली हुई थी। इसकी अपेक्षा यह ज्यादा अच्छा है कि आप समय रहते इस बात का अंदाज लगा लें कि हमको ऐसा बहुमूल्य उपहार मिला हुआ है जिसके लिए समूचे संसार के प्रत्येक प्राणी को तरसना पड़ता है। आदमी को बोलने वाली जिंदगी, सोचने वाली जिंदगी, पढ़ने-लिखने वाली जिंदगी, जीविका के लिए कोई एक सूत्र-साधन खाने-पीने का नियत समय, वस्तुओं के लिए सुव्यवस्था, सोने-जागने का क्रम, पहनने के लिए वस्त्र, रहने के लिए मित्र मंडली, जीविकोपार्जन के लिए कोई नियत स्थान वगैरह-वगैरह........।
इसके हिसाब से अगर आप देखें तो यह मालूम पड़ेगा कि दूसरे प्राणियों की तुलना में आपके और दूसरे प्राणियों के बीच में जमीन आसमान का फर्क है। आपको जो सुविधाएँ मिली हुई हैं ,वह दूसरे प्राणियों को कहाँ मिली हुई है? बताइए न, मनुष्य के अलावा कपड़े कौन पहनता है? शादी विवाह किसके होते हैं? कुटुम्ब बनाकर के कौन रहता है? दवा दारू का इंतजाम किसके लिए है? बोलना किसको आता है? किताबें कौन पढ़ सकता है? वगैरह आपको इतनी सुविधाएँ मिली हुई हैं आप कभी एकान्त में बैठकर के विचार करें तो मालूम पड़ेगा कि भगवान् के पास में जो कुछ भी सबसे कीमती चीज थी उसने आपके सुपुर्द कर दी।
भगवान के खजाने की सबसे बड़ी सम्पदा—मनुष्य जीवन
मित्रो! अगर आपको कभी भगवान् के खजाने को देखने का अवसर मिले तो आप यह तलाश करना कि सबसे बेहतरीन चीज प्राणियों को देने के लिए उनके पास क्या हो सकती थी? तब आपको एक ही बात का पता चलेगा कि भगवान् के पास सबसे कीमती दौलत, सबसे कीमती नियामत, सबसे कीमती संपदा, अगर कोई है तो वह है—मनुष्य की जिंदगी। मनुष्य की जिंदगी जिसको मिल गयी, समझना चाहिए भगवान का अनुग्रह पूर्ण हो गया। इससे ज्यादा भगवान् के पास देने के लिए कोई ऐसी चीज नहीं है जो किसी प्राणी को दे और निहाल कर दे। आप निहाल हो गए हैं, इस बात को आप समझिए। कल्पना कीजिए मौत आयी और आपके हाथ से जिंदगी छीन ली गई। छीनी हुई जिंदगी पर आप गौर कीजिए कि वह कितनी कीमती थी जो आपको अब दोबारा नहीं मिलने वाली है। अब आपको दूसरी योनियों में जाना है। गधे में जाना है घोड़े में जाना है, बंदर में जाना है, कबूतर में जाना है, दूसरी—चिड़ियाँ मेढक आदि में जाना है।
मित्रो! तब आप जरा अंदाज लगाइए आपके हाथ में कितना मौका मिला हुआ था जिसे आपने गवाँ दिया। आपने कभी यह कोशिश नहीं की कि इसका महत्त्व समझें और महत्त्व समझने के साथ-साथ आप इसको ठीक तरह से इस्तेमाल करने के लिए तैयारियाँ करें। आप इसकी तैयारी कीजिए, महत्त्व समझिए, आप इसको ठीक तरीके से उपयोग करने की तैयारी करिए। इसके लिए क्या तैयारी करनी पड़ेगी? एक तैयारी यह करनी पड़ेगी कि आपको नए ढंग से अपनी जिंदगी पर विचार करना शुरू करना होगा।
क्या शुरू करें? आप यह मानकर चलिए कि जिंदगी एक बहुत लम्बी कड़ी है। एक बहुत लम्बी वाली शृंखला है जिसमें आपको लाखों जन्मों तक जिंदा रहना था। आपके लिए एक ही मौका ऐसा है जो मनुष्य के जीवन के रूप में आपको मिला हुआ है। आपको जो मनुष्य की जिन्दगी के रूप में अवसर मिला हुआ है, आप उसके साथ जुड़े हुए भावी जीवन की संभावनाओं के बारे में विचार कीजिए।
जीवन का सदुपयोग कैसे करें?
मित्रो! आज हर आदमी जो काम करता है कल का विचार करके ही तो करता है। आज आप जो काम कर रहे हैं कल के ख्याल से कर रहे हैं। कल क्या करना पड़ेगा? आज आपने जो नौकरी या खेती-बाड़ी की है उसका मतलब यही तो है कि आपको कल का गुजारा करने के लिए ठीक मिलेगा। मकान आप किसलिए बनाते हैं? आज तो आप धर्मशाला में भी रह सकते थे। होटल में भी रह सकते थे, परन्तु यही तो विचार करते हैं कि कल हम रहेंगे तो कहाँ रहेंगे? बुढ़ापे में जायेंगे तो कहाँ रहेंगे? हमारा कुटुम्ब कहाँ रहेगा?
इसलिए विचार करते हैं—कल की संभावनाओं के लिए आज की व्यवस्था बनाना हर एक समझदार आदमी का काम है। आप एक लम्बी वाली जिंदगी जी रहे हैं। अगर आप लम्बी वाली जिंदगी जी रहे हैं तो आपको यह विचार करना पड़ेगा कि आपका कल किस तरीके से शानदार हो। कल के शानदार होने के लिए आज आपको क्या करना पड़ेगा? एक ही बात करनी पड़ेगी कि आप अपने प्रत्येक क्रिया कलाप में इस बात का समावेश करें कि हमारा कल—भविष्य किस तरीके से उज्ज्वल रहे।
मित्रो! हम और आपमें से अधिकांश व्यक्ति यही गलती करते हैं कि कल की बात पर विचार नहीं करते, केवल आज की बात पर विचार करते हैं। कल क्या परिणाम निकलेगा इस बात को हम भूल जाते हैं। आज हमको किन बातों में फायदा है बस इतनी ही बात पर हमारी दृष्टि सीमित रहती है और आज हमको जो फायदेमन्द मालूम पड़ता है, उसी को करने पर आमादा हो जाते हैं, भले ही उसको करने से हमारा कल खराब होता हो।
क्या करना चाहिए? करना यह चाहिए कि कल के परिणामों पर हम ज्यादा विचार करें और आज की गतिविधियों का निर्धारण हम इस तरीके से करें जिससे हमारा कल बहुत अच्छा बनता हो, शानदार बनता हो। अच्छा बनता हो—उसके लिए हम कोशिश करें, तो हम एक ऐसी रीति-नीति को अपनाने में समर्थ बन सकते हैं जो हमारे लिए हर तरीके से सुखदायक-शान्तिदायक बन सकती है।
आने वाले कल को ध्यान में रखकर जिएँ जिंदगी
साथियो! आपको दूसरे आदमियों पर गौर करना चाहिए जो आदमी तुरन्त फायदा उठाने के लिए कोशिश करते हैं आपने देखा नहीं वे किस तरीके से हैरान होते हैं और किस तरीके से अपनी जिंदगी को तबाह कर लेते हैं। अपराधियों को आप जानते हैं ना? शराबियों को आप जानते हैं ना? आलसियों को आप जानते हैं ना? रिश्वतखोरों, जमाखोरों और भ्रष्टाचारियों को आप जानते हैं ना? वे कौन हैं? ये सब वे आदमी हैं जो आज की सुख-सुविधाओं को ध्यान देते हैं और यह भूल जाते हैं कि हमारा भविष्य क्या होना है। शराबी इस समय के मजे को देखता है और यह देखता है कि इस समय हमको कैसा जायका आ रहा है? कैसा आनन्द आ रहा है? वह इस बात को भूल जाता है कि कल हमारा लीवर खराब होने वाला है, दिमाग खराब होने वाला है, जिंदगी में कमी होने वाली है। हमारी अकल खराब होने वाली है। हमारे कुटुम्ब की तबाही होने वाली है। हमारी बदनामी होने वाली है। यह कल तो होने वाली हैं ना? कल का कोई ख्याल ही नहीं है।
मित्रो! जिसको कल का ख्याल नहीं आता, उसको शराब पीने में कोई एतराज नहीं है। लेकिन जिसको कल का ख्याल है, अपने शरीर का भी ख्याल है, अपनी बदनामी का ख्याल है और अपनी आमदनी का ख्याल है। जिसको अपनी घर गृहस्थी की जिम्मेदारी का ख्याल है, उसे जैसे ही यह ख्याल आएगा, तो वह शराब पीने से ऐतराज करने लगेगा। और शराब पीना छोड़ देगा। जिस व्यक्ति में दूरदर्शिता की कमी है वह सिर्फ आज की बात पर विचार करता है। अपराधियों के बारे मे यही बात है, शराबियों के बारे में भी यही बात है, जुआरियों को आपने देखा है ना? चोरों को आपने देखा है ना? इस समय फायदा उठा लेते हैं।
अरे भाई! इस समय तो फायदा उठा लेते हो, पर भविष्य तुम्हारा क्या बनेगा? दूसरा आदमी तुम्हारी सहायता क्यों करेगा? दूसरा आदमी तुम्हें अपने पास क्यों बैठने देगा? जहाँ कहीं भी किसी का सहयोग माँगने जायेंगे वह तुम्हारे बारे में यही ख्याल तो करेगा न कि चोर है और उचक्का है। हमारे पास रहेगा तो हमको हैरान करेगा, किसी न किसी तरीके से तंग करेगा। इसलिए अच्छा होते हुए, भी कुटुम्बी होते हुए भी, मित्र होते हुए भी, अपने खानदान और परिवार का सदस्य होते हुए भी, हर आदमी यही चाहता है कि यह किसी तरीके से काला मुँह करे और हमसे दूर चला जाए।
मित्रो? क्यों? क्या वजह हुई? क्राइम। क्राइम—अपराध आदमी के व्यक्तित्व को खतम कर देता है। आमदनी क्या मिली, क्या नहीं मिली—आपसे मैं यह नहीं कहता ।। आपने किसी की जेब काट कर क्या कमा लिया, चोरी-बेईमानी से क्या कमा लिया, यह आपकी मर्जी के ऊपर है लेकिन आपने अपना भविष्य जरूर खराब कर लिया। अब आपको सहयोग की कोई गुंजाइश नहीं है। जब लोगों को यह मालूम पड़ेगा कि आप बुरे काम करने वालों में से हैं क्योंकि अपराध छिपता तो है नहीं, तब फिर आप विश्वास रखिए, न आपके पास अच्छे ग्राहक आ सकते हैं, न कोई आपको उधार देने को रजामंद हो सकता है और न आपका कोई मुसीबत में सहकारी हो सकता है। अपराध का रास्ता अख्तियार करने के बाद में आपने कमाया होगा, मैं नहीं कहता, लेकिन आपने भविष्य अपना कितना खराब बना लिया। आप जानते नहीं हैं।
आप किसान को जानते हैं ना, विद्यार्थी को जानते हैं ना, माली को जानते हैं ना। कलाकार को जानते हैं ना। ये सब वे आदमी हैं जिनको कल का ख्याल रहता है। आज उनको नुकसान पड़ता है तो खुशी-खुशी इस नुकसान को उठाने के लिए तैयार रहते हैं। किसान नुकसान उठाने को तैयार रहता है। आज बीज बो रहा है। आज मेहनत कर रहा है। आज खाद पानी सिर पर ढोकर के खेत में लगा रहा है। नुकसान के अलावा यह और क्या है जरा बताइए तो सही? लेकिन उसको ख्याल है कि इससे कल हमको अच्छी फसल मिल सकती है और हम अच्छा फायदा उठायेंगे। इसलिए आज की तबाही, आज का नुकसान, आज की मेहनत को सही मानता है, भले ही इसका कोई मुनासिब फायदा न मिलता हो, तो भी बराबर मेहनत करने के लिए तैयार रहता है।
अदूरदर्शिता के दुष्परिणाम
मित्रो! आप ऐसा नहीं कर पायेंगे क्या? आपको करना चाहिए। विद्यार्थी को आपने देखा है न? विद्यार्थी किस तरीके से किताब पढ़ने में लगा रहता है, रात को जागता रहता है, फीस भी दाखिल करता है। स्कूल भी टाइम पर जा पहुँचता है। दूसरी ओर आप उस बच्चे को देखिए जो लावारिशों की तरीके से घूमता रहता है। घर से पैसे ले जाता है फीस दाखिल करने के लिए। घर से पैसा ले जाता है किताबें खरीदने के लिए, लेकिन न तो वह किताबें खरीदता है न फीस दाखिल करता है सिर्फ आवारागर्दी में उधर से उधर घूमता रहता है। उसने आज का जायका उठा लिया ना? हाँ, लेकिन आज का जायका उठाकर के उसने क्या फायदा प्राप्त किया। कल का भविष्य खराब कर लिया ना? उस बेचारे का कल क्या होने वाला है? बिना पढ़ा रह जाएगा, हर साल फेल होता रहेगा, बच्चों में बेवकूफ और बुद्धू समझा जाता रहेगा। सारे घरवाले उसे हिकारत की दृष्टि से देखते रहेंगे। अंततः अपनी खराब जिंदगी को लेकर के किसी ऐसे बुरे लोगों की सोहबत में जा फँसेगा, जहाँ कि उसका भविष्य अंधकारमय होता हो।
मित्रो! यह सब कैसे हो गया? अदूरदर्शिता के कारण। अगर उस बच्चे में दूरदर्शिता रही होती, तो उसने ऐसे कदम न उठाए होते। तब उसने समझदार बच्चों की तरीके से दिन-रात मेहनत की होती। अच्छा डिवीजन ले आया होता। अच्छा डिवीजन ला करके छात्रवृत्ति प्राप्त कर ली होती और छात्रवृत्ति प्राप्त करने के अलावा कोई ऐसा पद प्राप्त कर लिया होता जिससे कि सारी जिंदगी खुशहाली से बीत जाती। अदूरदर्शिता ही तो है ना, जिसकी वजह से बच्चे की जिंदगी खराब हो गई। अदूरदर्शिता ही तो है ना, जिसकी वजह से शराबी तबाह हो गया। अदूरदर्शिता ही तो है न जिसकी वजह से अपराधी ऐसा हो गया। और वह दूरदर्शिता ही है जिसकी वजह से पहलवान, पहलवान बन गया। जिसकी वजह से विद्वान, विद्वान बन गया। जिसकी वजह से धनवान-धनवान बन गया। उन लोगों ने कल के लिए आज अपने आपके मन को मारा, अपने आपको रोका। अपने आपको एक खास मकसद में लगाए रखा और पूरी तरह से जिम्मेदारी के साथ किसी खास काम में अपने आपको भुला दिया ।।
मित्रो! अपने आपको किसी खास मकसद के लिए भुला देने वाले वे आदमी जो भविष्य के बारे में विचार करते हैं, बड़े समझदार मालूम पड़ते हैं। आपको भविष्य के बारे में विचार करना चाहिए। आपकी जिंदगी आपका बुढ़ापा किस तरीके से शानदार बीते इसके लिए आपको जवानी की हिफाजत करनी चाहिए। आपके घर की आर्थिक स्थिति भविष्य में डगमगाने न पाए इसके लिए आज से ही आपको अपनी किफायतसारी पर गौर करना चाहिए। और अपने घर के रहन-सहन के बारे में, घर की व्यवस्था के बारे में विचार करना चाहिए। बच्चे भविष्य में आपकी इज्जत करें, इसलिए आज आपको अपने तौर-तरीके ऐसे बनाकर रखना चाहिए जिससे कि बड़े होने पर जब आप कमजोर और असमर्थ हो जायेंगे, बुड्ढ़े हो जायेंगे, तब आपके ये बच्चे जो आज आपको बुरे काम करते हुए देखते हैं, तब आपको धिक्कारने न पायें। इसलिए आप अपने ढाँचे को अभी से क्यों न बदल लें?
भगवान के दरबार में शान से हों उपस्थित
मित्रो! सबसे बड़ी बात यह है कि आपको भगवान् के दरबार में पेश होना पड़ेगा। इस काम से आपका बचाव नहीं हो सकता। आप जिस दिन जन्मे थे, उस समय भगवान् ने आपको बहुत कीमती शरीर दिया था और इस उम्मीद से दिया था कि आप इसका ठीक इस्तेमाल करेंगे। और अपने भविष्य को उज्ज्वल बना लेंगे। और उसकी दुनिया को शानदार बनाने के लिए उसकी सेवा करने में समर्थ हो सकेंगे। आप उसके विश्व उद्यान को सुरम्य और सुसंस्कृत बनाने में हिस्सा बँटायेंगे। भगवान् ने आपको दिया है और आप भगवान् की दुनिया को देंगे। इस ख्याल से उसने आपको जन्म दिया था, लेकिन जब आप धीरे-धीरे मौत के नजदीक जा रहे हैं और आपको भगवान् के दरबार में पेश होने का मौका मिलने वाला है तब आप जरा विचार तो कीजिए कि आप उसे क्या जवाब देंगे। आप यह विचार मत कीजिए कि भगवान् जी आपसे यह पूछने वाले हैं कि आपने कितनी माला का जप किया था? किन-किन तीर्थों की यात्रा की थी। क्या-क्या कर्मकाण्ड कराए थे? भगवान से इनका कोई ताल्लुक नहीं है। यह सब आपकी मर्जी के ऊपर है। यह अपने मन की हिफाजत के लिए और मन को ठीक रखने के लिए है।
मित्रो! भगवान् ने तो एक चीज आपको अमानत में दी थी और वह थी—जिंदगी। और वह सिर्फ आपसे जिंदगी के बारे में सवाल करने वाला है। जब आप जायेंगे तो आपको एक प्रश्न का उत्तर देना पड़ेगा। और एक ही प्रश्न पूछा जाएगा। कौन सा? यह कि आपको जो बेशकीमती जिंदगी मिली थी उसे आपने कहाँ खर्च कर डाली? किन-किन कामों में खर्च कर डाली। आप अभी से इसका जवाब तैयार कीजिए।
जीवन को गवाएँ नहीं, उपयोगी बनाएँ
आपका यह जवाब माकूल नहीं है कि हमारे पास पेट भरने के लिए, कमाने के लिए इतना काम था। कुटुम्ब को पालने के लिए इतना काम था। इसलिए इस काम में हम सारी जिंदगी लगे रहे। ऐसा मत कहिए। आपके हाथ बहुत बड़े हैं और आपकी अकल बहुत बड़ी है। और आपको कमाने के लिए बहुत से साधन समाज में मिले हुए हैं। आपकी आवश्यकताएँ क्या हैं, जरा बताना? मुट्ठी भर आपकी आवश्यकताएँ हैं। चार रोटी आप खाते हैं। चार रोटी तो आप दो घंटे की कमाई में खा सकते हैं। आप तीन गज कपड़ा पहनते हैं ना? इसकी कितनी कीमत होती है? महीने भर में कितना खर्च करते हैं? आपके व्यक्तिगत खर्च और आवश्यकताएँ बहुत कम हैं।
साथियो! आप फिजूलखर्चियों में उड़ा डालें तो इसके लिए कोई क्या कर सकता है। फिजूलखर्चियों के लिए तो कोई सीमा नहीं है। कोई मर्यादा नहीं है। आप चाहे जितना खर्च कर डालिए। लेकिन आपकी वास्तविक आवश्यकताएँ बहुत कम हैं। और कुटुम्ब? कुटुम्ब को अगर आप स्वावलम्बी बनाने और संस्कारी बनाने तक का अपना उद्देश्य सीमित रखा हो तो आपको कुटुम्ब पालन करने में जरा भी दिक्कत नहीं पड़नी चाहिए। कुटुम्ब में ढेरों आदमी ऐसे होते हैं जो अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं। मसलन आपकी धर्मपत्नी हैं ना? स्वास्थ्य उनका अच्छा है ना? तो उन्हें सारे दिन, खाना बनाने में क्यों लगाए रखें खाना आप सब मिलकर थोड़े समय में पका सकते हैं। बाकी समय में आप इस तरीके से उनको शिक्षित और संस्कारित कर सकते हैं जिससे कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। घर के लिए कोई आर्थिक कमाई न कर सकती हों तो बचत तो कर ही सकती हैं।
मित्रो! खाना पकाना भी तो एक कला है, आमदनी है। कपड़े धोना और सिलाई करना भी तो एक आमदनी है। आपके घर में साग-भाजी उगा देना भी तो एक आमदनी है। यह सब स्वावलम्बन हुआ ना? स्वावलम्बन की दृष्टि से यदि आप घर के कई लोगों को इस लायक बना दें और उनसे भी कुछ काम करने की बात कहें। एक आदमी कमाए और सब बैठकर खायें यह बुरी बात है। हर आदमी को आप स्वावलम्बन क्यों नहीं सिखा सकते? अगर आप इस तरीके से स्वावलम्बन सिखाएँ तब? तब आपके ऊपर से वे बातें खतम हो जाती हैं। अभी तो आपको परिवार का भरण-पोषण इसलिए भारी पड़ रहा है कि आप अकेले कमाकर और सबको बैठाकर खिलाना चाहते हैं। सबको निकम्मा बनना चाहते हैं। यदि सारे कुटुम्बियों को, छोटे बच्चों को, छोड़कर जो समर्थ व्यक्ति हैं, उन्हें किसी तरीके से किसी न किसी काम में लगाए रखने की बात को यदि आप विचार कर लें, तो आपको कुटुम्ब पालन में क्या दिक्कत पड़ सकती है? कुटुम्ब का परिपालन आपको भारी क्यों पड़ना चाहिए? आपको पेट भरने में दिक्कत क्यों होनी चाहिए?
मित्रो! अगर आप औसत भारतीय नागरिक के तरीके से जिंदगी जियें और किफायतसारी से रहें तो आप यकीन रखिए थोड़े में ही आप गुजारा कर सकते हैं और बड़ी आसानी से सारी मुसीबतों से आपका बचाव होना संभव है। भगवान का काम करने के लिए आपको ढेरों का ढेरों समय मिलना चाहिए। आपकी अगर कोई पुरानी स्थाई आमदनी नहीं है तो भी आठ घंटे की मेहनत और मसक्कत करने के बाद में आपका गुजारा भलीभाँति से हो जाना चाहिए। काम करने के घंटे आठ घंटे से ज्यादा नहीं होने चाहिए। आठ घंटा अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार शारीरिक श्रम आजीविका के लिए निर्धारित है। हर आदमी मेहनत और ईमानदारी से काम करे तो आठ घंटे में गुजारा कर सकता है। फिर इसके बाद सात घंटे सोने के मान लीजिए। सात घंटे से ज्यादा सोने की बच्चों को भी जरूरत नहीं पड़ती। सात घंटे तो आपके लिए काफी होने चाहिए, यदि आप समय खराब न करें तब।
इस तरह सात घंटा सोने के लिए और आठ घंटे काम करने के लिए कुल पंद्रह घंटे हुए पाँच घंटे आप फालतू कामों के लिए रखिए। शौच-स्नान और खाने में कितना समय लगता है। एक घंटा सबेरे का मान लीजिए एक घंटा शाम का मान लीजिए। यह तो दैनिक जरूरतों के काम हुए, और कोई हो तो जरा बताना। इस तरीके से ५ घंटे दैनिक कार्यों में लगाने के बाद में आपको कुल मिला करके २० घंटे अपने दैनिक कामों में और पारिवारिक कामों में खर्च करने के लिए काफी होने चाहिए। इसके बाद में जो चार घंटे बचते हैं उसमें आप भगवान् के कामों को कर सकते हैं। जिससे कि आपकी जिंदगी सार्थक मानी जा सके। जिससे आप भगवान् के दरबार में जब कभी जायें तो सीना तानकर यह कह सकें कि हमने अपनी आत्मा का कल्याण करने के लिए और अपने परिवार का स्तर बढ़ाने के लिए और समाज में सत्प्रवृत्तियों का संवर्धन करने के लिए कई मूल्यवान काम किए हैं।
आप ऐसा कीजिए। भगवान् के दरबार में जाने की तैयारी कीजिए। अगर आप उनको सही जवाब देने में समर्थ हो गए, तो आप विश्वास रखिए अभी तो आपको सामान्य प्राणियों से मनुष्य का दर्जा मिला है, कल आपको महामानव का मिल सकता है, ऋषियों का दर्जा मिल सकता है, देवात्माओं का दर्जा मिल सकता है।
अभी तो आप मानवीय गरिमा से लाभान्वित हुए हैं, भविष्य में आपको स्वर्गीय जिंदगी जीने का मौका मिल सकता है। आप जीवनमुक्तों में गिने जा सकते हैं। आप सारे संसार में भगवान् के उत्तराधिकारी और युवराज कहलाने की स्थिति में पहुँच सकते हैं। कब पहुँच सकते हैं—जब आप जीवन का ठीक से उपयोग करना सीख पायें तब। अतः आप जिंदगी के साथ खिलवाड़ मत कीजिए। जिंदगी को महत्त्वहीन मत मानिए। जिंदगी को खंडित मत कीजिए। जिंदगी में आज के ही लाभों पर विचार मत कीजिए। वरन् भविष्य का भी विचार कीजिए और ऐसी नीति अख्तियार कीजिए जिससे कि न केवल आज का दिन शानदार बन सके बल्कि भविष्य को उज्ज्वल बनाने का भी एक अच्छा खासा द्वार खुल सके। आप ऐसा कीजिए, जीवन का महत्त्व समझिए, जीवन का सदुपयोग कीजिए। और भविष्य को उज्ज्वल, सुखमय और आनन्दमय बनाइए।
आज की बात समाप्त
॥ ॐ शान्तिः॥