उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
राम का नाम लेकर न जो पा सके,
राम का काम करके वही पाओगे।
राम का नाम लेकर न जो पा सके,
राम का काम करके वही पाओगे॥
राम का काम है लोकसेवा करो,
राम से तो मिलन फिर असम्भव नहीं
छोड़ वैभव यहाँ भाव से जो भरा,
देख पाया पतन या पराभव नहीं॥
शान-अभिमान में जो न तुम पा सके,
त्याग-तप में निखर के वही पाओगे॥
राम का काम करके वही पाओगे॥
प्यार-ममता जिन्हें मिल न पाई कभी,
हर्ष-उल्लास का एक क्षण दो उन्हें।
जो घिरे हैं अँधेरे पथों में यहाँ,
प्रेरणा से भरी तुम किरण दो उन्हें॥
बुद्धि के दंभ में तुम न जो पा सके,
भाव से किन्तु भर के वही पाओगे॥
राम का काम करके वही पाओगे॥
भाव-संवेदना के बिना मूल्य क्या,
यज्ञ, जप, जागरण या अनुष्ठान का।
जो न करुणा हृदय बीच उमड़ी कभी,
बोझ बेकार है ज्ञान-विज्ञान का॥
मिल सका जो न अब तक गहन ज्ञान से,
स्नेह से तुम सँवर के वहीं पाओगे॥
राम का काम करके वही पाओगे॥
धर्म से भी अधिक धर्म की भावना,
है जरूरी बहुत व्यक्ति के वास्ते।
जिस तरह देह-बल से अधिक आत्मबल,
है जरूरी अतुल शक्ति के वास्ते॥
धर्म का जो कलेवर नहीं दे सका,
कर्म तुम श्रेष्ठ करके वही पाओगे॥
राम का काम करके वही पाओगे॥
राम का काम करके वही पाओगे।
राम का काम करके वही पाओगे॥