उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत करना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
मैंने तेरी गीता गाई। मैंने तेरी गीता गाई॥
टूटी-फूटी भाषा में भर, जग के कानों तक पहुँचाई।
मैंने तेरी गीता गाई॥
तेरे द्वार लगाया डेरा, जीवन सफल हुआ सब मेरा।
तेरे चरणों की रज लेकर, अंग-अंग में भस्म रमाई॥
मैंने तेरी गीता गाई॥
अश्रु बहाये चरणों पर जब, सत्यामृत की धार बही तब।
अपने छोटे से चम्मच से, प्यासे जग की प्यास बुझाई॥
मैंने तेरी गीता गाई॥
अल्प शक्ति धारी मैं प्राणी, बच्चे के समान है वाणी।
गागर में सागर भरने की, पर मैंने हिम्मत दिखलाई॥
मैंने तेरी गीता गाई॥
तेरी करुणा से जो पाया, वह इस अंजलि में ले आया।
गंगा से गंगाजल लेकर, गंगा को जलधार चढ़ाई॥
मैंने तेरी गीता गाई॥