उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत करना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
चलो बदल दो राह समय की. . . . .
बदल दो राह समय की. . . . .
तुम कर्मों से भाग्य बदल दो, भावी को निश्चय का बल दो।
युग अपने निर्भय हाथों से, सिरा पकड़ लो आज प्रलय की॥
बदल दो राह समय की. . . . .
बात करो नौका खेने की, उस तट तक पहुँचा देने की।
बंदी कर लो मँझधारों को, तुम सत्ता मानो न निलय की॥
बदल दो राह समय की. . . . .
हार-हार का स्वप्न असम्भव, एक अटल हो अभिनव अनुभव।
स्वयं मनुजता परिभाषा है, जीवन की, जागृति की जय की॥
बदल दो राह समय की. . . . .