उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
सूक्ष्म में रम गये हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए।
पुण्य-परमार्थ पथ पर बढ़ें ये चरण,
जा मिले आपसे दिव्य वर दीजिए॥
तप किया आपने सिद्ध सब कुछ किया,
लोक हित में है सर्वार्थ अर्पित किया।
देव मानव बने, स्वर्ग धरती बने,
पूज्यवर आपने यह प्रण भी किया॥
अब यही चाह है, हे हमारे प्रभो,
आपका अनुसरण हो कृपा कीजिए॥
सूक्ष्म में रम गये हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए॥
दिव्य सविता बने, रश्मियाँ बाँटने,
बन गये पुण्य गंगा तपन मेटने।
यों जलाई मशालें तिमिर भेदने,
पुण्य आलोक जग में लगा फैलने॥
व्रत यही ले रहे आज हम भी प्रभो,
लक्ष्य ऊँचा बनायें दिशा दीजिए॥
सूक्ष्म में रम गये हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए॥
प्राण में प्रेरणा बन मचलते रहो,
भाव-संवेदना बन उछलते रहो।
बुद्धि में दिव्य चिंतन बनो पूज्यवर,
इस मनुज देह में प्राण भरते रहो॥
हों समर्पित तुम्हारे चरण में प्रभो,
भूल जायें स्वयं को दया कीजिए॥
सूक्ष्म में रम गये हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए॥
पुण्य-परमार्थ पथ पर बढ़ें ये चरण,
जा मिले आपसे दिव्य वर दीजिए॥
सूक्ष्म में रम गये हो हमारे प्रभो,
देख पायें तुझे वह नयन दीजिए॥
पुण्य-परमार्थ पथ पर बढ़ें ये चरण,
जा मिले आपसे दिव्य वर दीजिए॥