उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥
कै कोई जागे रोगी-भोगी, कै कोई जागे चोर।
कै कोई जागे सन्त महात्मा, लगी हरि से डोर॥
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥
चार पहर धंधे में बीते, चार पहर गई सोय।
घड़ी एक हरि नाम न लीनो, मुक्ति कहाँ से होय॥
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥
स्वर्ग अटारी चढ़ गई और, रही करम को रोय।
कहत कबीर सुनो भई साधो, अब गति कैसी होय॥
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥
निंदिया बाई घर जइयो, जा घर राम भजन नहीं होय।
राम भजन नहीं होय, जा घर श्याम भजन नहीं होय॥