उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत करना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
दर्द तुम्हारा प्यार तुम्हारा, दर्द तुम्हारा प्यार तुम्हारा।
मेरा तो कुछ नहीं जगत में, दर्द तुम्हारा प्यार तुम्हारा॥
तन का दीप उमर की बाती, चहुँ दिशि में उजियार तुम्हारा॥
एक किरण में ज्योति पुँज तुम, भीतर-बाहर कहीं नहीं तम।
दृष्टि पंथ आलोकित तुमसे, ज्योतिर्मय श्रृंगार तुम्हारा॥
तुम निशि- दिन, तुम साँझ सकारे, तुमने आकुल हृदय उबारे।
तुम घट, पनघट, बंशीवट तुम, जीवन भर आभार तुम्हारा॥
धार अजानी निठुर किनारा, डूब रहे को तुम ही सहारा।
तट के बंधन सभी तुम्हारे, सम्बल हर मझधार तुम्हारा॥
तुम घन-सावन, तुम मन भावन, तुम सा कौन जगत में पावन।
तुम वृन्दावन, तुम्हीं द्वारिका, अग-जग को आधार तुम्हारा॥
मंदिर, मस्जिद हर गुरुद्वारे, हम भटके हैं द्वारे-द्वारे।
इस जीवन में रास न आया, भेद-भरा संसार तुम्हारा॥