उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत करना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना।
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।।
दल-बल के साथ माया, घेरे जो मुझको आकर।
तो देखते न रहना, झट आ के बचा लेना।।
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।।
सम्भव है झंझटों में, मैं तुमको भूल जाऊँ।
पर नाथ, कहीं तुम भी, मुझको न भुला देना।।
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।।
तुम देव, मैं पुजारी, तुम ईष्ट मैं उपासक।
यह बात सच है यदि तो, सच करके दिखा देना।।
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना।।