उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत करना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
बसायें एक नया संसार, कि जिसमें छलक रहा हो प्यार।
कि जिसमें छलक रहा हो प्यार॥
शोषक-शोषित हों न जहाँ पर, सबकी सम्पत्ति एक।
हो तन-मन में सुमन एक सा, जिसमें प्रेम विवेक॥
हो सबमें सहयोग परस्पर, एक बने घर द्वार॥
कि जिसमें छलक रहा हो प्यार॥
जाति-पाँति के बन्धन टूटें, राष्ट्र-राष्ट्र सब एक।
धर्मों में हो सत्य समन्वय, रहे न झूठी टेक॥
मिटें अन्धविश्वास जगत के, हों विज्ञान विचार॥
कि जिसमें छलक रहा हो प्यार॥
मानव की मानव भाषा हो, सबकी एक समान।
मिलें हृदय से हृदय परस्पर, हो सच्ची पहचान॥
करें वचन से, तन-मन-धन से, सब सबका उपकार॥
कि जिसमें छलक रहा हो प्यार॥
करें अहिंसा का पालन सब, बने सत्य का राज।
सत्य, अहिंसा, भक्त सभी हों, जग हो सत्य समाज॥
घर-घर स्वर्ग नचे आँगन में, मोक्ष करे अवतार॥
कि जिसमें छलक रहा हो प्यार॥
बसायें एक नया संसार, कि जिसमें छलक रहा हो प्यार।
कि जिसमें छलक रहा हो प्यार॥