उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
ज्योतियाँ जिससे जलें अनेक, जलाओ ऐसा दीपक एक।
ज्योतियाँ जिससे जलें अनेक, जलाओ ऐसा दीपक एक॥
बुझे जो तूफानों में नहीं, जले अविराम, तिमिर कर दूर।
धरा पर लाये पुण्य प्रकाश, स्नेह तुम दो इतना भरपूर॥
पंथ ज्योतित हो उठें अनेक, जलाओ ऐसा दीपक एक॥
ज्योतियाँ जिससे जलें अनेक, जलाओ ऐसा दीपक एक।
ज्योतियाँ जिससे जलें अनेक, जलाओ ऐसा दीपक एक॥
प्रलय की झंझा में बुझ गये, न जाने कितने दीपक अजान।
जला दो गाकर दीपक राग, बावरे बैजू की बन तान॥
प्रेरणा भर दो ऐसी एक, स्वतः जागृत हों उठें अनेक॥
ज्योतियाँ जिससे जलें अनेक, जलाओ ऐसा दीपक एक।
ज्योतियाँ जिससे जलें अनेक, जलाओ ऐसा दीपक एक॥
सृजन हो नया, सृष्टि हो नई, लगन हो नई, नया विश्वास।
हृदय में ले अदम्य उत्साह, रचें फिर से नूतन इतिहास॥
पीर यदि भर दो ऐसी एक, कंठ से निकलें गीत अनेक॥
ज्योतियाँ जिससे जलें अनेक, जलाओ ऐसा दीपक एक।
ज्योतियाँ जिससे जलें अनेक, जलाओ ऐसा दीपक एक॥