उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया, झीनी-झीनी बीनी चदरिया।
दास कबीर जतन से ओढ़ी, ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया॥
ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया, ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया॥
दास कबीर जतन से ओढ़ी, ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया।
झीनी-झीनी बीनी चदरिया, ज्यों की त्यों रख दीनी चदरिया॥
दास कबीर जतन से ओढ़ी, ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया।
झीनी-झीनी बीनी चदरिया, ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया॥
दास कबीर जतन से ओढ़ी, ज्यों की त्यों रख दीनी चदरिया।
झीनी-झीनी बीनी चदरिया, ज्यों की त्यों रख दीनी चदरिया॥