उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ।
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
यह सुमन चढ़ाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
केवल एक यही है इच्छा, शरण रहूँ मैं तेरी।
साँस-साँस में तुम्हीं विराजो, टेर सुनो अब मेरी॥
अंतर में तुम्हें समाऊँ, हर पल तुझको ही ध्याऊँ॥
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ।
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
यह सुमन चढ़ाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
दीन दुःखी की सेवा में ही, शेष कटे यह जीवन।
हर आँसू मुस्कान बना दूँ, ऐसा हो अब हर क्षण॥
गिरतों को पुनः उठाऊँ, विश्राम इसी में पाऊँ॥
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ।
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
यह सुमन चढ़ाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
आस यही है मेरे स्वामी, साथ सदा ही रहना।
थक जाऊँ मैं जब भी पथ में, हाथ हमारे गहना॥
आशीष तुम्हारा पाऊँ, छाया तेरी बन जाऊँ॥
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ।
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
यह सुमन चढ़ाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥
प्रभु तुझमें मैं मिल जाऊँ, यह सुमन चढ़ाऊँ॥