उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
कौन है किसका यहाँ पर, हैं सभी आते अकेले।
कौन किसका साथ देता, हैं सभी जाते अकेले॥
मोह के बंधन न पड़ तू, कौन अपना या पराया।
कर भला फिर भूल जग को, छोड़ दे सब मोह माया॥
कौन किसका साथ देता, हैं सभी जाते अकेले॥
कौन है किसका यहाँ पर, .....
जग तुझे समझे या न समझे, कर नहीं परवाह इसकी।
चार दिन की वाह-वाही, कर नहीं तू चाह इसकी॥
कौन किसका साथ देता, हैं सभी जाते अकेले॥
कौन है किसका यहाँ पर, .....
मस्त रह, बस मस्त रह, अपनी फकीरी शान में तू।
यश-अपयश निन्दा-प्रशंसा, रख नहीं कुछ ध्यान में तू॥
कौन किसका साथ देता, हैं सभी जाते अकेले॥
कौन है किसका यहाँ पर, .....
सत्य प्रभु का ध्यान रख बस, छोड़ दे सारी निराशा।
क्या अकेला क्या दुकेला, साथ है जब अमर आशा॥
कौन किसका साथ देता, हैं सभी जाते अकेले॥
कौन है किसका यहाँ पर, .....
दस कदम के साथियों का, योग और वियोग क्या रे।
भक्त तू भगवान का, तब व्यर्थ चिन्ता रोग क्या रे॥
कौन किसका साथ देता, हैं सभी जाते अकेले॥
कौन है किसका यहाँ पर, .....
देख तू सत्येश मन्दिर, विश्व का कल्याण जिसमें।
विश्व की सेवा जहाँ है, और तेरा प्राण जिसमें॥
कौन किसका साथ देता, हैं सभी जाते अकेले॥
कौन है किसका यहाँ पर, .....
उस तरफ ही बढ़ वही है, प्राण का आधार तेरा।
तू अकेला है यहाँ पर, है वहाँ संसार तेरा॥
कौन किसका साथ देता, हैं सभी जाते अकेले॥
कौन है किसका यहाँ पर, .....