उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
हे नाथ याद तेरी, मन को सता रही है।
हे नाथ याद तेरी, मन को सता रही है॥
क्या कुछ नहीं है पाया, आँचल में तेरे आके।
हम पा गये हैं सब कुछ, नजदीक तेरे आके॥
हँस-हँस के दे रहा है, कण-कण तेरी गवाही।
सर झुक गया हमारा, साकार तुझको पाके॥
तेरी ही ज्योति जग में, जीवन जगा रही है॥
हे नाथ याद तेरी, मन को सता रही है॥
संदेश दे रहा तू, हर फूल में हँसी का।
सन्देश दे रहा तू, हर डाल में खुशी का॥
मस्ती से पात-पात में, ताली बजा रहा है।
चंचल हवा में भारी, आँचल उड़ा रहा है॥
ऐसी छटा निराली, हर ओर छा रही है।
हे नाथ याद तेरी, मन को सता रही है॥
थिरकन दिखाई तूने, बन कर मयूर वन में।
पंचम स्वरों में बोला, कोयल के श्याम तन में॥
बन के पपीहरा तू, पी-पी की रट लगाता।
मधुमास बन के मीठी, यादें सदा दिलाता॥
पुलकन पुनीत ऐसा, संगीत गा रही है।
हे नाथ याद तेरी, मन को सता रही है॥