उन दिनों कैसेट का प्रचलन खूब जोर-शोर से था। गीतों के व परम पूज्य गुरुदेव के प्रवचनों के कैसेट तैयार किये जा रहे थे। कैसेट के इनले कार्ड में परम पूज्य गुरुदेव का चित्र देने का निर्णय हुआ। जब वं० माताजी को एक नमूना दिखाया गया तो वं० माताजी ने कैसेट को उलट-पलट कर देखा और बोलीं, ‘‘बेटा! मुझे और गुरुजी को कभी अलग मत समझना।’’ फिर बोलीं, ‘‘बेटा, आने वाले समय में दुनिया अपनी समस्याओं का समाधान मेरे गीतों में और पूज्य गुरुजी के प्रवचनों में ढूँढ़ेगी।’’ - वं० माताजी
न हो ओ साधक तू लाचार, मिलेगा नव बल का संचार।
तेरी रक्षा को है माँ का दुलार, तू है प्रभु का राजकुमार॥
दिखता कोई नहीं मीत, इससे तुझको है भीत।
फिर भी चिन्ता मत करना, तेरी होनी है जीत॥
तपस्या है तेरा हथियार, लक्ष्य है तेरा पर उपकार।
तेरी रक्षा को है माँ का दुलार, तू है प्रभु का राजकुमार॥
भारी शत्रु है विकार, तेरा छोटा है आकार।
फिर भी रुक न सकेगी, तेरी निष्ठा की धार॥
हटा दे मन से सब कुविचार, बढ़ा सद्भावना का संचार।
तेरी रक्षा को है माँ का दुलार, तू है प्रभु का राजकुमार॥
माना असुरता है क्रूर, तेरा लक्ष्य अभी दूर।
फिर भी हक जो तुम्हारा, है वो मिलेगा जरूर॥
बाँटता चल तू सबको प्यार, बनेगा श्रेष्ठ सुखी संसार।
तेरी रक्षा को है माँ का दुलार, तू है प्रभु का राजकुमार॥
न हो ओ साधक तू लाचार, मिलेगा नव बल का संचार।
तेरी रक्षा को है माँ का दुलार, तू है प्रभु का राजकुमार॥