Post date: Feb 19, 2018 7:59:40 AM
तुम कहते हो - मुझको इसका रोना नहीं सुहाता है ।
मैं कहती हूँ - इस रोने से अनुपम सुख छा जाता है ।
सच कहती हूँ, इस रोने की छवि को जरा निहारोगे ।
बड़ी-बड़ी आँसू की बूँदों पर मुक्तावली वारोगे । 1 ।
ये नन्हे से होंठ और यह लम्बी-सी सिसकी देखो ।
यह छोटा सा गला और यह गहरी-सी हिचकी देखो ।
कैसी करुणा-जनक दृष्टि है, हृदय उमड़ कर आया है ।
छिपे हुए आत्मीय भाव को यह उभार कर लाया है । 2 ।
हँसी बाहरी, चहल-पहल को ही बहुधा दरसाती है ।
पर रोने में अंतर तम तक की हलचल मच जाती है ।
जिससे सोई हुई आत्मा जागती है, अकुलाती है ।
छुटे हुए किसी साथी को अपने पास बुलाती है । 3 ।
मैं सुनती हूँ कोई मेरा मुझको अहा ! बुलाता है ।
जिसकी करुणापूर्ण चीख से मेरा केवल नाता है ।
मेरे ऊपर वह निर्भर है खाने, पीने, सोने में ।
जीवन की प्रत्येक क्रिया में, हँसने में ज्यों रोने में । 4 ।
मैं हूँ उसकी प्रकृति संगिनी उसकी जन्म-प्रदाता हूँ ।
वह मेरी प्यारी बिटिया है मैं ही उसकी प्यारी माता हूँ ।
तुमको सुन कर चिढ़ आती है मुझ को होता है अभिमान ।
जैसे भक्तों की पुकार सुन गर्वित होते हैं भगवान । 5 ।