आगे गाय पाछें गाय इत गाय उत गाय,
गोविंद को गायन में बसबोइ भावे।
गायन के संग धावें, गायन में सचु पावें,
गायन की खुर रज अंग लपटावे॥
गायन सो ब्रज छायो, बैकुंठ बिसरायो,
गायन के हेत गिरि कर ले उठावे।
'छीतस्वामी' गिरिधारी, विट्ठलेश वपुधारी,
ग्वारिया को भेष धरें गायन में आवे॥
धन्य श्री यमुने निधि देनहारी / छीतस्वामी
जय जय श्री सूरजा कलिन्द नन्दिनी / छीतस्वामी
सुमिर मन गोपाल लाल सुंदर अति रूप जाल / छीतस्वामी
गोवर्धन की सिखर चारु पर / छीतस्वामी
आगे गाय पाछें गाय इत गाय उत गाय / छीतस्वामी
हमारे श्री विट्ठल नाथ धनी / छीतस्वामी
जा मुख तें श्री यमुने यह नाम आवे / छीतस्वामी
भोग श्रृंगार यशोदा मैया / छीतस्वामी
बादर झूम झूम बरसन लागे / छीतस्वामी
गुण अपार मुख एक कहाँ लों कहिये / छीतस्वामी
धाय के जाय जो श्री यमुना तीरे / छीतस्वामी
भई अब गिरिधर सों पैहचान / छीतस्वामी