Post date: Mar 02, 2018 11:43:39 AM
पर्दे पर्दे में अताब[1] अच्छे नहीं
ऐसे अन्दाज़-ए-हिजाब[2] अच्छे नहीं
मयकदे में हो गए चुपचाप क्यों
आज कुछ मस्त-ए-शराब अच्छे नहीं
ऐ फ़लक! क्या है ज़माने की बिसात
दम-ब-दम के इन्क़लाब अच्छे नहीं
तू भी उसकी ज़ुल्फे-पेचाँ [3] हो गया
ऐ दिल, ऐसे पेचो-ताब [4] अच्छे नहीं
बज्म-ए-वाइज़[5] से कोई कहता गया
ऐसे जलसे बे-शराब अच्छे नहीं
तौबा कर लें हम मय-ओ-माशूक़ से
बे-मज़ा हैं ये सवाब[6] अच्छे नहीं
इक नजूमी[7] 'दाग़' से कहता था आज
आप के दिन ऐ जनाब अच्छे नहीं
शब्दार्थ
1 अत्याचार्
2शरमाने के ढंग
3उलझे हुए बाल
4चक्कर
5 उपदेशकों की सभा
6 पुण्य-कार्य
7 ज्योतिषी