Post date: Feb 18, 2018 12:28:22 PM
देखे मैं छबी आज अति बिचित्र हरि की ॥ध्रु०॥
अरुण चरण कुलिसकंज । चंदनसो करत रंग सूरदास जंघ जुगुली खंब कदली ।
कटी जोकी हरिकी ॥१॥
उदर मध्य रोमावली । भँवर उठत सरिता चली । वत्सांकित हृदय भान ।
चोकि हिरन की ॥२॥
दसनकुंद नासासुक । नयनमीन भवकार्मुक । केसरको तिलक भाल ।
सोभा मृगमदकी ॥३॥
सीस सोभे मयुरपिच्छ । लटकत है सुमन गुच्छ । सूरदास हृदय बसे ।
मूरत मोहनकी ॥४॥