Post date: Feb 19, 2018 12:34:35 PM
पहेलियाँ
१.
तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझाया
बाप का उससे नाम जो पूछा आधा नाम बताया
आधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरी
अमीर ख़ुसरो यूँ कहेम अपना नाम नबोली
उत्तर—निम्बोली
२.
फ़ारसी बोली आईना,
तुर्की सोच न पाईना
हिन्दी बोलते आरसी,
आए मुँह देखे जो उसे बताए
उत्तर—दर्पण
३.
बीसों का सर काट लिया
ना मारा ना ख़ून किया
उत्तर—नाखून
४.
एक गुनी ने ये गुन कीना, हरियल पिंजरे में दे दीना।
देखो जादूगर का कमाल, डारे हरा निकाले लाल।।
उत्तर—पान
५.
एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वो उसी की सूरत।
फिक्र पहेली पायी ना, बोझन लागा आयी ना।।
उत्तर—आईना
६.
बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
खुसरो कह दिया उसका नाँव, अर्थ कहो नहीं छाड़ो गाँव।।
उत्तर—दिया
७.
घूम घुमेला लहँगा पहिने,
एक पाँव से रहे खड़ी
आठ हात हैं उस नारी के,
सूरत उसकी लगे परी ।
सब कोई उसकी चाह करे है,
मुसलमान हिन्दू छत्री ।
खुसरो ने यह कही पहेली,
दिल में अपने सोच जरी ।
उत्तर - छतरी
८.
खडा भी लोटा पडा पडा भी लोटा।
है बैठा और कहे हैं लोटा।
खुसरो कहे समझ का टोटा॥
- लोटा
९.
घूस घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खडी।
आठ हाथ हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी।
सब कोई उसकी चाह करे, मुसलमान, हिंदू छतरी।
खुसरो ने यही कही पहेली, दिल में अपने सोच जरी।
- छतरी
१०.
आदि कटे से सबको पारे। मध्य कटे से सबको मारे।
अन्त कटे से सबको मीठा। खुसरो वाको ऑंखो दीठा॥
- काजल
११.
एक थाल मोती से भरा। सबके सिर पर औंधा धरा।
चारों ओर वह थाली फिरे। मोती उससे एक न गिरे॥
- आकाश
१२.
एक नार ने अचरज किया। साँप मार पिंजरे में दिया।
ज्यों-ज्यों साँप ताल को खाए। सूखै ताल साँप मरि जाए॥
- दीये की बत्ती
१३.
एक नारि के हैं दो बालक, दोनों एकहिं रंग।
एक फिरे एक ठाढ रहे, फिर भी दोनों संग॥
- चक्की
१४.
खेत में उपजे सब कोई खाय।
घर में होवे घर खा जाय॥
- फूट
15.
गोल मटोल और छोटा-मोटा,
हर दम वह तो जमीं पर लोटा।
खुसरो कहे नहीं है झूठा,
जो न बूझे अकिल का खोटा।।
उत्तर - लोटा।
16.
श्याम बरन और दाँत अनेक, लचकत जैसे नारी।
दोनों हाथ से खुसरो खींचे और कहे तू आ री।।
उत्तर - आरी
17.
हाड़ की देही उज् रंग, लिपटा रहे नारी के संग।
चोरी की ना खून किया वाका सर क्यों काट लिया।
उत्तर - नाखून।
18.
बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
खुसरो कह दिया उसका नाव, अर्थ करो नहीं छोड़ो गाँव।।
उत्तर - दिया।
19.
नारी से तू नर भई और श्याम बरन भई सोय।
गली-गली कूकत फिरे कोइलो-कोइलो लोय।।
उत्तर - कोयल।
20.
एक नार तरवर से उतरी, सर पर वाके पांव
ऐसी नार कुनार को, मैं ना देखन जाँव।।
उत्तर - मैंना।
बूझ पहेली (अंतर्लापिका) / अमीर खुसरो
गोल मटोल और छोटा-मोटा,
हर दम वह तो जमीं पर लोटा।
खुसरो कहे नहीं है झूठा,
जो न बूझे अकिल का खोटा।।
उत्तर - लोटा।
श्याम बरन और दाँत अनेक,
लचकत जैसे नारी।
दोनों हाथ से खुसरो खींचे
और कहे तू आ री।।
उत्तर - आरी।
हाड़ की देही उज् रंग,
लिपटा रहे नारी के संग।
चोरी की ना खून किया
वाका सर क्यों काट लिया।
उत्तर - नाखून।
बाला था जब सबको भाया,
बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
खुसरो कह दिया उसका नाव,
अर्थ करो नहीं छोड़ो गाँव।।
उत्तर - दिया।
नारी से तू नर भई
और श्याम बरन भई सोय।
गली-गली कूकत फिरे
कोइलो-कोइलो लोय।।
उत्तर - कोयल।
एक नार तरवर से उतरी,
सर पर वाके पांव
ऐसी नार कुनार को,
मैं ना देखन जाँव।।
उत्तर - मैंना।
सावन भादों बहुत चलत है
माघ पूस में थोरी।
अमीर खुसरो यूँ कहें
तू बुझ पहेली मोरी।।
उत्तर - मोरी (नाली)
बिन-बूझ पहेली (बहिर्लापिका) / अमीर खुसरो
एक नार कुँए में रहे,
वाका नीर खेत में बहे।
जो कोई वाके नीर को चाखे,
फिर जीवन की आस न राखे।।
उत्तर – तलवार
एक जानवर रंग रंगीला,
बिना मारे वह रोवे।
उस के सिर पर तीन तिलाके,
बिन बताए सोवे।।
उत्तर - मोर।
चाम मांस वाके नहीं नेक,
हाड़ मास में वाके छेद।
मोहि अचंभो आवत ऐसे,
वामे जीव बसत है कैसे।।
उत्तर - पिंजड़ा।
स्याम बरन की है एक नारी,
माथे ऊपर लागै प्यारी।
जो मानुस इस अरथ को खोले,
कुत्ते की वह बोली बोले।।
उत्तर - भौं (भौंए आँख के ऊपर होती हैं।)
एक गुनी ने यह गुन कीना,
हरियल पिंजरे में दे दीना।
देखा जादूगर का हाल,
डाले हरा निकाले लाल।
उत्तर - पान।
एक थाल मोतियों से भरा,
सबके सर पर औंधा धरा।
चारों ओर वह थाली फिरे,
मोती उससे एक न गिरे।
उत्तर – आसमान
दोहा पहेली / अमीर खुसरो
उज्जवल बरन अधीन तन, एक चित्त दो ध्यान।
देखत मैं तो साधु है, पर निपट पार की खान।।
उत्तर - बगुला (पक्षी)
एक नारी के हैं दो बालक, दोनों एकहि रंग।
एक फिर एक ठाढ़ा रहे, फिर भी दोनों संग।
उत्तर - चक्की।
आगे-आगे बहिना आई, पीछे-पीछे भइया।
दाँत निकाले बाबा आए, बुरका ओढ़े मइया।।
उत्तर – भुट्टा
चार अंगुल का पेड़, सवा मन का फ्ता।
फल लागे अलग अलग, पक जाए इकट्ठा।।
उत्तर - कुम्हार की चाक
अचरज बंगला एक बनाया, बाँस न बल्ला बंधन धने।
ऊपर नींव तरे घर छाया, कहे खुसरो घर कैसे बने।।
उत्तर - बयाँ पंछी का घोंसला
माटी रौदूँ चक धर्रूँ, फेर्रूँ बारम्बर।
चातुर हो तो जान ले मेरी जात गँवार।।
उत्तर – कुम्हार
गोरी सुन्दर पातली, केहर काले रंग।
ग्यारह देवर छोड़ कर चली जेठ के संग।।
उत्तर - अहरह की दाल।
ऊपर से एक रंग हो और भीतर चित्तीदार।
सो प्यारी बातें करे फिकर अनोखी नार।।
उत्तर – सुपारी
बाल नुचे कपड़े फटे मोती लिए उतार।
यह बिपदा कैसी बनी जो नंगी कर दई नार।।
उत्तर - भुट्टा (छल्ली)